tag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post7768704111750622724..comments2023-11-07T21:28:20.513-08:00Comments on S H A R D A: पुत्रदान क्यों नहींBrijmohanShrivastavahttp://www.blogger.com/profile/04869873931974295648noreply@blogger.comBlogger26125tag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-22664093188890280072009-08-03T02:12:16.170-07:002009-08-03T02:12:16.170-07:00वैसे भी ,ये बड़ी अजीब प्रथा है ..कोई अपनी औ...वैसे भी ,ये बड़ी अजीब प्रथा है ..कोई अपनी औलाद को दान में कैसे दे सकता है ? लेकिन , गर विधिवत विवाह करना है ,तो जो पंडित कहता है उसे मान ही लेना पड़ता है ..!<br />हमारे देश में तो बेटी को 'पराया धन' मान के इतनी विकृत मानसिकता बनाई गयी है..ना मायका उसका होता है,न,ससुराल...कौनसा घर उसका?kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-73080629375478502052009-03-04T23:33:00.000-08:002009-03-04T23:33:00.000-08:00बृजमोहन जी,जो हजारों वर्षों की परम्परा के चलते 'आद...बृजमोहन जी,<BR/>जो हजारों वर्षों की परम्परा के चलते 'आदत' में शुमार हो जाता है, उसके विरोध में उठाया गया प्रश्न ज़्यादा महत्वपूर्ण है बजाय उपसंहार के। आपने प्रश्न उठाया, पढने वालों के दिमाग में खलबली पैदा की, अब इस प्रश्न को विस्तृत होने दीजिये। <BR/>किसी भी परम्परा पर प्रश्न चिन्ह लगना हमारे बुर्जुआ समाज में एक बड़ा अपराध है। आपने यह अपराध किया इसके लिए बधाई।<BR/>स्त्री के सम्मान और अस्तित्व के सन्दर्भ में तो आदिकाल से दोहरे मानदंड स्थापित हैं जिनका कि पुरुषप्रधान समाज ने अपने अनुसार उपयोग किया है। आप इसे इस तरह भी समझ सकते हैं की -<BR/>" यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता"<BR/>और वे उसे अपनी सभाओं में नचाते हैं।रजनीश 'साहिलhttps://www.blogger.com/profile/04135274801804144685noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-82218814938874136802009-03-03T06:21:00.000-08:002009-03-03T06:21:00.000-08:00बड़ा ही सार्थक आलेख प्रस्तुत किया है आपने....वैसे ...बड़ा ही सार्थक आलेख प्रस्तुत किया है आपने....वैसे तो इसपर लम्बी बात हो सकती है,संक्षेप में कहूँ तो....<BR/><BR/>देखा जाय तो धन संपत्ति को मनुष्य विशेष आदर देता है और सहेजकर आदर सहित रखता है.संभवतः कन्या को भी धन इसलिए माना/कहा गया कि इसका विशेष रूप से संरक्षण हो और विशिष्ठ सम्मान मिले...<BR/>अब बाद यह वस्तु और केवल भोग्या बन गयी ,यह परंपरा का अधोपतित विकृत रूप है.....<BR/><BR/>आज भी आदिवासी या मातृप्रधान बहुत से समुदायों में लड़केवाले ही दहेज़ देते हैं.....हाँ ,हिन्दू समुदाय में कन्यादान की परम्परा जीवित है,भले मातृप्रधान समुदाय लडकी के लिए दहेज़ देता हो....रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-11037708615587997582009-02-21T07:31:00.000-08:002009-02-21T07:31:00.000-08:00स्त्री हमेंशा से संपत्ति मानी जाती रही थी / उसका क...स्त्री हमेंशा से संपत्ति मानी जाती रही थी / उसका क्रय विक्रय होता था , उसे गिरवी रखा जाता था , जुए में हारा जीता जाता था तो अन्य संपत्ति के दानो की तरह इस कन्या रूपी संपत्ति के दान की परिपाटी प्रचलित हुई होगी ....jab mai in sabdon ko sunti hun to mere mastisk ki nase fatne lagti hain....mai is visaye pr bahas nahi karna chahti....aapne accha likha hai....Bdhai..!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-13085331712360312072009-02-21T06:53:00.000-08:002009-02-21T06:53:00.000-08:00mujhe bhi aaj tak samajh nahi aaya aisa kyun hota ...mujhe bhi aaj tak samajh nahi aaya aisa kyun hota hai... may be one day our orthodox thinking will undergo a chnage n gals would be treated at par with guys!!!Neelima Ghttps://www.blogger.com/profile/08896254791433303381noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-11579384982844537362009-02-19T06:29:00.000-08:002009-02-19T06:29:00.000-08:00इतने नये विचार कहाँ से लाते हैँकिसी स्त्री प्रधान ...इतने नये विचार कहाँ से लाते हैँ<BR/>किसी स्त्री प्रधान समाज मेँ शायद होता हो.<BR/>भारत मेँ तो पुरुश प्रधान समाज बनाया गया हैअनुपम अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/14259746714891353242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-49138502536049067212009-02-18T22:37:00.000-08:002009-02-18T22:37:00.000-08:00aap sach main mahan ho shreewastav jee andar tak p...aap sach main mahan ho shreewastav jee andar tak pahunch kar aisaa vishleshanप्रदीप मानोरियाhttps://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-83441710865501395582009-02-17T03:49:00.000-08:002009-02-17T03:49:00.000-08:00भूत और वत्तमान को सही राह दिखलाता यह लेख । वैसे आइ...भूत और वत्तमान को सही राह दिखलाता यह लेख । वैसे आइडिया तो बढ़िया है लिकिन कही देखने को नही मिला है । अपने अध्ययन को आपने अपने लेख के माध्यम से जो बताने का प्रयास किया है वह सराहनीय है । साथ में धणॆ को जोड़कर आपने इसे और जोरदार बना दिया है । शु्क्रियाkumar Dheerajhttps://www.blogger.com/profile/03306032809666851912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-32508752627069351782009-02-16T06:34:00.000-08:002009-02-16T06:34:00.000-08:00bhot acha likha apne, vakai sasural wale teeke ke ...bhot acha likha apne, vakai sasural wale teeke ke nam pe , mandap ke nam pa aur na jane kaun kaun se rivajo ke nam pe ladki walon ko loote rahte hain. manine aisa koi rivaz nhi suna jisme ladke walon ko kabhi kuch dena padta hai , sab swarth ki rajniti lagti hai , ghar-parivar ishtri or purush dono se milkar banta hai fir bhi ladke ka ma-baap rob jhadne se baaj nahi ate. aapne is or ek behtar prayash kiya hai.kumudhttps://www.blogger.com/profile/04818071444252134276noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-64459096817769000382009-02-16T02:00:00.000-08:002009-02-16T02:00:00.000-08:00यह लेख वाकई गंभीर लग रहा है...एक प्रश्न है..हमारी...यह लेख वाकई गंभीर लग रहा है...<BR/>एक प्रश्न है..हमारी बरसों से चली आ रही रीती रिवाजों के नाम पर..<BR/>पुत्र दान भी कहीं सुना तो है मगर कहाँ याद नहीं --भारत के दक्षिण में हिन्दुओं में यह रिवाज़ है की शादी के बाद पुत्री और दामाद घर पर रहते हैं.विवाह उपरांत लड़की घर छोड़ कर नहीं जाती.<BR/><BR/>क्या यह पुत्र दान हुआ???Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-33868825858372720612009-02-13T07:47:00.000-08:002009-02-13T07:47:00.000-08:00श्रीवास्तवजी , आपकी कोई नई रचना पड़ने की इच्छा है....श्रीवास्तवजी , आपकी कोई नई रचना पड़ने की इच्छा है. लिखिए. <BR/>आपकी टिप्पणियों की भी चाह रहती है. मुझे आपका लेखन पसंद आता है, न केवल ब्लॉग से बल्कि नई दुनिया में..आज नही बरसो पहले. आपका नाम मेरे दिलो दिमाग में आज भी कायम है. चूंकि एम् पी का ही मूल है मेरा मगर मुंबई में बरसो से हूँ. बचपन ओउर कॉलेज टाइम में अधबीच में देखता रहा हूँ. उम्मीद है जल्द ही लिखेंगे ब्लॉग पर ...अमिताभ श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/12224535816596336049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-65511643071454155232009-02-13T00:13:00.000-08:002009-02-13T00:13:00.000-08:00श्रीवास्तव जी, बहुत ही विचारणीय प्रश्न उठाया आपन...श्रीवास्तव जी, बहुत ही विचारणीय प्रश्न उठाया आपने.किन्तु मैं नहीं समझता कि समाज में इस प्रकार के प्रकार के प्रश्नो का उतर भी किसी के पास हो.<BR/>ओर हां, ब्लागजगत में बहुत दिनो बाद दिखलाई दिए आप.Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-82115476905676821342009-02-09T23:26:00.000-08:002009-02-09T23:26:00.000-08:00बहुत बढ़िया...आभार..बहुत बढ़िया...आभार..राजीव करूणानिधिhttps://www.blogger.com/profile/01438700014693467726noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-49185353367973099982009-02-09T21:18:00.000-08:002009-02-09T21:18:00.000-08:00Acha lekh hai..Acha lekh hai..Dr.Bhawna Kunwarhttps://www.blogger.com/profile/11668381875123135901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-30918242264740491692009-02-09T07:32:00.000-08:002009-02-09T07:32:00.000-08:00आपकी सोच में गहराई है और व्यापकता है। अच्छे विषय...आपकी सोच में गहराई है और व्यापकता है। अच्छे विषय को उठाने के लिए बधाई।Atul Sharmahttps://www.blogger.com/profile/09200243881789409637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-21345332582887363392009-02-08T10:08:00.000-08:002009-02-08T10:08:00.000-08:00श्रीवास्तवजी आपकी सोच निसंदेह एक प्रश्न उठाती है, ...श्रीवास्तवजी <BR/>आपकी सोच निसंदेह एक प्रश्न उठाती है, <BR/>किन्तु इस जीवन ओर जीवन की रीत में ऐसे बहुत से सवाल है जिनका उत्तर हमें नहीं मिल पाता.<BR/>उन्हें या तो हमें नज़र अंदाज़ कर देना होता है, या फिर इसी तरह शोध करके हल खोजने का उपक्रम. या <BR/>फिर चली आ रही परम्परा के अधीन हमें स्वीकार करना होता है. पुत्रदान के सन्दर्भ में <BR/>हमारे शास्त्रों में कई कहानिया मौजू है. चूँकि इस वक़्त उनका जिक्र में कर नहीं सकता पर इतना अवश्य कह सकता हूँ की पुत्रदान भी होता है. किन्तु किसी परम्परा के अधीन नहीं, ये सच है. आपका सवाल ओर आपकी उम्दा सोच मुझे काफी अच्छी लगी. धन्यवाद... चाहूँगा की आप लिखते रहे ओर मुझे पड़ना को मिलता रहे.अमिताभ श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/12224535816596336049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-2148286017246911502009-02-08T09:21:00.000-08:002009-02-08T09:21:00.000-08:00शायद किसी स्त्रीप्रधान समाज में ऐसा होता हो? वैसे ...शायद किसी स्त्रीप्रधान समाज में ऐसा होता हो? वैसे आईडिया नहीं है इसका !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-65479818591444289022009-02-08T09:06:00.000-08:002009-02-08T09:06:00.000-08:00putri laxmi hoti hai isliye uska daan hota hai, pu...putri laxmi hoti hai isliye uska daan hota hai, putra ghar kee dahleej hota hai.रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-37134900533530652652009-02-08T06:54:00.000-08:002009-02-08T06:54:00.000-08:00पुत्र दान इस लिए नहीं होता क्योंकि आज भी दुनिया पु...पुत्र दान इस लिए नहीं होता क्योंकि आज भी दुनिया पुरूष प्रधान ही है. राज भाटिया जी भी पुरूष प्रधान समाज के गैरतमंद पुरूष की बात कर रहे हैं. वर्तमान व्यवस्था में तो हर गैरतमंद लड़की को अपने ससुराल में अनिवार्य रूप से रहना ही होता है. वैसे आज लड़कों की कमाई खाने में माँ बाप के पसीने छूटने लगे हैं. इसलिए माँ बाप अपने बुढापे का इंतजाम करके रखने लगे हैं.hem pandeyhttps://www.blogger.com/profile/08880733877178535586noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-8093432414868647352009-02-08T05:31:00.000-08:002009-02-08T05:31:00.000-08:00Aaj kal apki post bahut lambe samay ke baad parne ...Aaj kal apki post bahut lambe samay ke baad parne ko milti hai... per jub bhi milti hai bahut achhi hoti hai...aapne bahut vicharniy baato ko uthaya hai...Vineeta Yashsavihttps://www.blogger.com/profile/10574001200862952259noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-27070128154115480172009-02-08T02:15:00.000-08:002009-02-08T02:15:00.000-08:00बड़े दिनों बाद दिखे हैं श्रीवास्तव जी। हमेशा की तर...बड़े दिनों बाद दिखे हैं श्रीवास्तव जी। हमेशा की तरह इन विचारों की प्रशंसा करना औपचारिकता निभाने के लियी नहीं,वरन दिल से कर रहा हूँ। वैसे सोचता हूँ कितना अच्छा होता जो ऐसा हो पाता....<BR/>उधर हंस में साहित्य के डान की इतनी तारीफ़ की है आपने की विस्मित हुये बिना रह न पाया..<BR/>और दूसरी तरफ,पाखी में पूस की रात के पक्ष में बहस जानदार रही..गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-63572026531867247012009-02-07T11:21:00.000-08:002009-02-07T11:21:00.000-08:00बहुत संगत लेख है, लेकिन दुनिया के किसी भी धर्म में...बहुत संगत लेख है, लेकिन दुनिया के किसी भी धर्म में ऐसा नहीं होता, कुछ आदिवासी काबीलों में ऐसी प्रथाएँ अवश्य मिलती हैं! अंडमान में ऐसी प्रथा चलती है और अफ्रीका में भी कुछ जगह!Vinayhttps://www.blogger.com/profile/08734830206267994994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-49856854644969325832009-02-07T11:11:00.000-08:002009-02-07T11:11:00.000-08:00एक गरीब बाप अपनी बेटी की शादी कर दे इज्जत से यही क...एक गरीब बाप अपनी बेटी की शादी कर दे इज्जत से यही काफ़ी है,अब यह दहेज ओर हिस्सा??? क्या यही है प्यार ??? अब सोचने वाले, ओर कहने वाले तो अलग अलग बाते ही करेगे, ओर बेटी की कमाई खाने वाले भी मिल जायेगे, ओर बेटी के घर का पानी भी ना पीने वाले मिल जायेगे, क्या सही है क्या गलत है यह हम सब जानते है,फ़िर परदा डालने के लिये, कोई भी बहाना बना लॊ.<BR/>पुत्र दान इस लिये नही होता कि कोई भी गेरत मंद आदमी अपनी ससुराल मै कुत्ता बन कर नही रहना चाहेगा, अब रहने वाले तो रहते भी है.<BR/>धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-30458478260219807822009-02-07T08:34:00.000-08:002009-02-07T08:34:00.000-08:00श्रीवास्तव जी नमस्कार|हम दहेज़ मिटाने की बात तो कर...श्रीवास्तव जी नमस्कार|<BR/>हम दहेज़ मिटाने की बात तो करते हैं लेकिन लड़की का हक़ पिता की संपत्ति में उसकी बात नही करते| आख़िर लड़की का भी हक़ है, और आजकल कितनी लडकियां शादी के बाद पिता की संपत्ति में हक़ जताती हैं? <BR/>अच्छा तो यह हो लड़कियों को उनका हिस्सा दे दिया जाए, या तो शादी के समय या कोई और व्यवस्था हो|sshttps://www.blogger.com/profile/10746526495871896780noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-19510383076297195132009-02-07T08:28:00.000-08:002009-02-07T08:28:00.000-08:00आदरणीय श्रीवास्तव जी ,अपने दहेज़ और उससे सम्बंधित...आदरणीय श्रीवास्तव जी ,<BR/>अपने दहेज़ और उससे सम्बंधित प्रश्नों को बहुत तार्किक ढंग से विश्लेषित किया है .वैसे मैंने एक बच्चों का नाटक लिखा था पोलाम्पुर का उल्टा पुल्टा .नाटक में मैंने यही कल्पना की थी की दुनिया में सब कुछ उलट गया है .लड़की वाले बारात लेकर लड़के के घर जाते हैं .इस नाटक के कई शो हुए .पसंद किया गया. जल्द ही मेरे बaल नाटकों के संग्रह में प्रकाशित होने वाला है .वैसे आपके ब्लॉग से काफी वैदिक ,पौराणिक ,जानकारियां मिलती हैं.<BR/>हेमंत कुमारडा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03899926393197441540noreply@blogger.com