tag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post8241353235441514083..comments2023-11-07T21:28:20.513-08:00Comments on S H A R D A: भाषा और संस्क्रतिBrijmohanShrivastavahttp://www.blogger.com/profile/04869873931974295648noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-75164138152988290392010-03-08T02:53:05.312-08:002010-03-08T02:53:05.312-08:00aadarniya sir main bhi aapake vicharon ke saath hu...aadarniya sir main bhi aapake vicharon ke saath hun .aapaki soch chintaniya hai . <br /> poonamपूनम श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09864127183201263925noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-35372203010194234422010-03-08T02:31:53.241-08:002010-03-08T02:31:53.241-08:00"शुक्रिया सर, कई दिनों से आपकी कोई पोस्ट नहीं..."शुक्रिया सर, कई दिनों से आपकी कोई पोस्ट नहीं दिखाई दी। इन तीनों शब्दों को मैने शब्दकोश से लिया था ठकमुर्री का अर्थ स्तब्धतता पेशल का मनोमुग्धकारी <br />और सारल्य का सरलता ..आपके मार्गदर्शन की अपेक्षा रहेगी........" <br />प्रणव सक्सैना<br />amitraghat.blogspot.comAmitraghathttps://www.blogger.com/profile/13388650458624496424noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-71184217588142510082010-03-08T00:01:16.014-08:002010-03-08T00:01:16.014-08:00great lines started againgreat lines started againmakrandhttps://www.blogger.com/profile/14750141193155613957noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-3166460008557434842010-03-07T17:39:27.827-08:002010-03-07T17:39:27.827-08:00...कहां गुम/व्यस्थ हो गये हो श्रीवास्तव जी , दिखते......कहां गुम/व्यस्थ हो गये हो श्रीवास्तव जी , दिखते/लिखते नहीं हो !!!!!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-43214520796833275922010-03-06T09:20:29.040-08:002010-03-06T09:20:29.040-08:00**Correction---UAE mein 13 plus years..and since 9...**Correction---UAE mein 13 plus years..and since 92 out of india hain...Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-32696510295999333262010-03-06T09:18:40.263-08:002010-03-06T09:18:40.263-08:00Sir,
यह तो पता नहीं आबू धाबी में कब से हैं मगर यहा...Sir,<br />यह तो पता नहीं आबू धाबी में कब से हैं मगर यहां की होली का कभी आनंद लिया होगा तो इस दिन को बहुत याद किया होगा '<br />****आप ने यह सवाल किया था--इसका जवाब यहीं दे रही हूँ--<br />हमें यहाँ रहते कोई १३ से उपर हो गया है..और यह सच है कि त्योहारों के समय घर की याद बहुत आती है.<br />होली भारत में मनाए इतने ही साल भी ..क्योंकि छुट्टियाँ जुलाई - अगस्त में पड़ती हैं ..और हर साल भारत जाना संभव भी नही हो पाता.<br />होली यहाँ सिर्फ़ एक बार ही मनाई थी...अब तो रंग का टीका लगा लेते हैं.<br />-आप हर बात को बहुत ही बारीकी से समझते हैं अच्छा लगता है.<br />आप का आभारAlpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-37045345673285697472010-03-01T00:50:44.928-08:002010-03-01T00:50:44.928-08:00होली की ढेर सारी शुभकामनाएंहोली की ढेर सारी शुभकामनाएंविनोद श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/03047825335357886599noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-20179150938857267882010-03-01T00:49:46.145-08:002010-03-01T00:49:46.145-08:00जबतक द्विअर्थी संवाद या कथन शालीनता के दायरे में स...जबतक द्विअर्थी संवाद या कथन शालीनता के दायरे में सिमटा होता है तब तक वह आनंद और चुलबुलेपन का पुट देता है. लेकिन जब शालीनता की सीमायें पार होने लगती हैं तो किसी भी संवेदनशील व्यक्ति का आपत्ति जताना स्वाभाविक है. <br />बृजमोहन सर, समयाभाव के कारन ब्लॉग्गिंग के लिए समय निकलना मुश्किल हो रहा है. कृपया अपना स्नेह और मार्गदर्शन जारी रखियेगा.विनोद श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/03047825335357886599noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-49383884922766983022010-02-28T18:14:08.357-08:002010-02-28T18:14:08.357-08:00.....होली की लख-लख बधाईंया व शुभकामनायें!!!!!.....होली की लख-लख बधाईंया व शुभकामनायें!!!!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-90247827887184105482010-02-28T07:21:24.564-08:002010-02-28T07:21:24.564-08:00"होली की ढेर सारी शुभकामनाएँ......."
प्..."होली की ढेर सारी शुभकामनाएँ......."<br /><br />प्रणव सक्सैना <br />amitraghat.blogspot.comAmitraghathttps://www.blogger.com/profile/13388650458624496424noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-81281320756536846952010-02-27T22:27:39.219-08:002010-02-27T22:27:39.219-08:00Brij Sir,
आपको सपरिवार रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामन...Brij Sir,<br />आपको सपरिवार रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाये.<br />regardsAlpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-17766875638868957752010-02-27T00:31:21.318-08:002010-02-27T00:31:21.318-08:00Holi kee anek shubhkamnayen!Holi kee anek shubhkamnayen!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-53185325935288522732010-02-22T04:56:04.683-08:002010-02-22T04:56:04.683-08:00bhasha ke upar mili jaankariya achchhi lagi ,sunda...bhasha ke upar mili jaankariya achchhi lagi ,sundar postज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-71876609529192781922010-02-20T04:00:44.301-08:002010-02-20T04:00:44.301-08:00सही बात है ऐसी भाषा बच्चों को बच्चों को बचपन में न...सही बात है ऐसी भाषा बच्चों को बच्चों को बचपन में नहीं सीखना चाहिये ( बड़े होकर सीखना चाहिये )शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-40763051795237147842010-02-19T21:10:17.348-08:002010-02-19T21:10:17.348-08:00बहुत बढ़िया लेख !
लोगों को समझ आना चाहिए कि वे आन...बहुत बढ़िया लेख ! <br />लोगों को समझ आना चाहिए कि वे आने वाली पीढ़ी को क्या दे रहे हैं, बहुत से बच्चों को इनके अर्थ तक नहीं मालूम और बिना जाने इन शब्दों का उपयोग करते हैं ! शुभकामनायें भाई जी !!Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-73800357791377931312010-02-16T11:42:51.529-08:002010-02-16T11:42:51.529-08:00अभी तो सल्फेट चल रिया है मार्केट में.अभी तो सल्फेट चल रिया है मार्केट में.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-22913097243606000172010-02-16T01:40:02.966-08:002010-02-16T01:40:02.966-08:00बहुत सही बात पकड़ी है आपने...
सिनेमा एक ऐसा माध्यम...बहुत सही बात पकड़ी है आपने...<br />सिनेमा एक ऐसा माध्यम है जो समाज के किसी भी तबके को सबसे अधिक प्रभावित करने में समर्थ होता है....और इसमें यदि भाषा की दुर्गति की गयी तो वह सहज ही आम जुबान पर चढ़ने में सफल हो जाया करती है....<br />यह सही है कि आम जनजीवन में सहज रूप में अनेक अपशब्दों(गलियों ) का साधारण बोलचाल में इस्तेमाल किया जाता है,परन्तु उसे कथा के दृश्य श्रव्य माध्यम में यदि प्रयुक्त कर दिया गया ,तो वह एक प्रकार से संरक्षित हो जाता है...<br />संरक्षण अच्छे चीजों का हो तो वह सदा कल्याणकारी होता है पर बुरे चीजों का सदा बहिष्कार ही होना चाहिए...<br /><br />-----------------------<br /><br /><br /><br />आपने रावण के समबन्ध में जो कुछ भी कहा मेरे पोस्ट पर टिपण्णी में, मैं उससे पूर्ण सहमत हूँ...<br />आपके सार्थक समालोचनात्मक टिप्पणी की मुझे सदा प्रतीक्षा रहती है,क्योंकि ये सोच को दिशा दे जाया करती है...मैं आपकी बहुत आभारी हूँ..रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-4734479125245075902010-02-16T00:54:11.534-08:002010-02-16T00:54:11.534-08:00आप की चिंता बहुत सही है..आज कल फिल्मों में तो ऐसे...आप की चिंता बहुत सही है..आज कल फिल्मों में तो ऐसे शब्द और द्विअर्थि संवादों की भरमार है ही..साथ ही टी वी कार्यक्रमों ने भी यह सब दिखाना शुरू कर दिया है.<br />१९५६ की सी आई डी फिल्म के एक गीत के बारे में पढ़ रही थी की उस में एक शब्द की वजह से वह गाना ही फिल्म में नही रखा गया था.<br />और आज यह हालत है कि गानो की तो बात ही ना करें फिल्मों में टी वी शो में अभद्र भाषा का खूब प्रयोग हो रहा है जिसे समय पर नियंत्रित नहीं किया गया तो परिणाम अच्छे नहीं होंगे.<br />-अच्छा आलेख.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-30947442528264048052010-02-15T03:08:02.400-08:002010-02-15T03:08:02.400-08:00आपकी चिंता वाजिब है और संदेश भी सार्थक है ... आज ब...आपकी चिंता वाजिब है और संदेश भी सार्थक है ... आज बहुत सी बातें सिनेमा से हो कर घर में आ रही हैं और अक्सर हम घर पर इसलिए भी स्वीकार करने लगे हैं क्योंकि आधुनिकता का जामा जो ओढ़ रक्खा है .. अफ़सोस तो इस बात पर ज़्यादा होता है की सेंसर बोर्ड क्यों अपनी आँखे बंद किए बैठ है ... क्या पिछले १५-२० वर्षों में नियमों में कुछ बदलाव आया है ..? या हमारी मानसिकता भी बदल रही है .....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-87046994585511202392010-02-14T19:23:57.370-08:002010-02-14T19:23:57.370-08:00"धन्यवाद सर, आगे भी आपके मार्गदर्शन की आवश्यक..."धन्यवाद सर, आगे भी आपके मार्गदर्शन की आवश्यकता रहेगी "<br />प्रणव सक्सैना amitraghat.blogspot.comAmitraghathttps://www.blogger.com/profile/13388650458624496424noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-39652704058984919882010-02-14T10:16:32.816-08:002010-02-14T10:16:32.816-08:00आप ने सही लिखा, लेकिन यह तो हम सब के हाथ मै है हम ...आप ने सही लिखा, लेकिन यह तो हम सब के हाथ मै है हम जब ऎसी फ़ुलहड फ़िलमो का बहिषकार करे गे तो यह खुद ही अच्छी फ़िल्मे बनायेगे, आप की बात से सहमत हुंराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-4569718616362048912010-02-14T05:44:17.938-08:002010-02-14T05:44:17.938-08:00संस्क्रति=संस्कृति
..सुधार लें, पढ़ते समय अच्छा नह...संस्क्रति=संस्कृति<br />..सुधार लें, पढ़ते समय अच्छा नहीं लग रहा.<br />पोस्ट के भाव अच्छे हैं.देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-344619722474742786.post-68695870394352227022010-02-13T22:11:16.578-08:002010-02-13T22:11:16.578-08:00Aapke har shabd se sahmat hun!Aapke har shabd se sahmat hun!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.com