Wednesday, August 12, 2009

योग से बढकर है योगा

योग तो पुरानी बात है अत उन्होंने योगा करने की ठानी -वैसे भी कुछ लोगों के लिए योगा लाभ की बजाय फेशन की बस्तु ज़्यादा है उनके आधे मोहल्ले और जान पहचान वालों को विदित हो चुका है की श्री मान जी योगा करते हैं फिर भी उनके बच्चों की यही इच्छा रह्ती है की दोराने योगा कोई आए उनसे पापा के वारे में पूछे और वे फक्र से बताएं की पापा इस वक्त योगा कर रहे हैं |

इसके लिए उन्होंने २५ मिनट का समय चुना घर के सब सदस्यों को निर्देश था की इस अवधि में सब चुप रहें - पापाजी डिस्टर्ब न हों इसलिए बडी लडकी कमरे के किवाड़ बंद करके अंदर से सांकल चढा देती और बाहर से छोटी लडकी किवाड़ ठोकती रहती रोटी चिल्लाती रहती पत्नी झुंझलाती रहती और लड़का आवाज़ बंद करके किरकेट मैच देखता रहता - जब वे योगा करने बैठते तो घड़ी सामने रख लेते -शांती से बैठने में इन पच्चीस मिनट में वे ३५ बार आसन बदलते और ७५ मरतबा घड़ी देखले की कब पच्चीस मिनट पूरे हों और वे शबासन में लेटें|

जैसे साल में दो बार नौ दिन तक पारायण करने वाले पहले से ही विश्राम पर निशान लगा देते हैं और आधे घंटे बाद ही शेष बचे प्रष्ठ गिनने लगते हैं फिर बचे हुए दोहे गिनने लगते हैं और जैसे जैसे विश्राम नजदीक आने लगता है उन्हें विश्राम मिलने लगता है -ठीक वैसे ही जैसे जैसे सुई पच्चीस मिनट की और बढ़ती इनकी प्रसन्नता बढ़ने लगती -इनके चेहरे की प्रसन्नता देख कर बच्चे समझते की पापाजी को योगा से ब्लेसनेस प्राप्त हो रही है|

` शबासन उन्हें अत्यन्त प्रिय लगा जैसे अजगर से कह दिया जाए की तुम १५ मिनट चुपचाप पडे रहो या उन शंकर जी से जो "शंकर सहज सुरूप तुम्हारा -लगी समधी अखंड अपारा और =बीते संबत सहस सतासी -तजी समधी संभु अविनासी से कहा जाए तुम दस मिनट का मेडी टेशन 'क्या फर्क पढेगा वैसे ही तो वे यूँ ही दिनरात पलंग पर डले रहते है अब तो शब आसन है -पहले तो पत्नी की टोकाटाकी थी सब्जी ले आते -चक्की पर चले जाते -एकाध बाल्टी पानी भरवा देते आदि इत्त्यादी -अब तो योगा है कोई रोक टोक ही नहीं|

किताबी निर्देशों के मुताबिक वे कमर सीधी करके बैठते मगर आदत के मुताबिक आधा मिनट में ही कमर झुकजाती -ध्यान के क्षेत्र में इसे सुबह लक्ष्ण माना जाता है - बशर्ते कमर ध्यान में डूबने पर झुके मगर यहाँ तो आदतन झुक रही है -शायद दुश्यन्त्जी ने ऐसे ही मोकों के लिए कहा होगा =ये जिस्म बोझ से दबकर दुहरा हुआ होगा -में सजदे में नहीं था आपको धोका हुआ होगा =|

आज उनके पास योगा का सचित्र और विचित्र -प्राचीन और नवीन हिन्दी और अंग्रेज़ी भाषा में बहुत सा साहित्य एकत्रित हो गया है -पतंजली जी ने जितने आसन बताए होंगे उनसे ज़्यादा ये जानने लगे हैं -योगी वशिष्ठ ने योग से जितने लाभ बताए होंगे उनसे ज़्यादा योगा से होने वाले लाभ इन्हेंयाद हैं|

एक दिन मैंने उनसे पूछा की तुम मेरे अज़ीज़ हो -ये किताबी ज्ञान मुझे मत बतलाना -ये तो सब मैंने भी पढ़ सुन रखे हैं -तुम तो यह बतलाओ की तुम्हे हासिल क्या हुआ -क्या उपलब्धी हुई =तो उन्होंने शेर के गले में फंसी हड्डी का किस्सा सुना दिया की अगर शेर के गले में फंसी हड्डी लम्बी चोंच वाला सारस निकाल दे और शेर से पारिश्रमिक या ईनाम मांगे -तो भइया सबसे बडा ईनाम तो यही है की चोंच साबुत बाहर निकल आई इसी प्रकार सबसे बडी उपलब्धी तो यही है की वर्तमान शोर प्रदूषण के युग में हमारा परिवार आधा घंटा चुप रहकर विश्व की सेवा कर रहा है|

शोर से होने वाली हानी के बारे में आम लोगों को जानकार नहीं है -जिनको जानकारी है वे खामोश है -हवाई जहाज -मोटर -ट्रक -रेल फेक्टरी आतिश्वाज़ी पठाके लाउड इस्पीकर फुल आवाज़ में अपने घर में रेडियो या टी वी चलाना इनसे दिल के रोगी को -नवजात शिशु को -अशक्त ब्रद्धों को -गर्भवती महिला को क्या क्या नुकसान होते है हम नहीं जानते =रेलवे लाइन के निकट वाशिंदों को क्या क्या रोग घेर लेते है यह भी हमको पता नहीं है =दीवाली पर पठाके चलाने वाबत सुप्रीम कोर्ट ने क्या निर्देश दिए थे हमने उन्हें कितना माना =बोलने से कितना नुकसान होता है हमें पता नहीं =गंभीर रोगी को डाक्टर बोलने से क्यों मना करता है सोचा नहीं|

उनकी बात मुझे सटीक लगी काश हम भी थोड़ा थोड़ा चुप रहकर वातावरण में फैल रहे शोर प्रदूषण को कम करने में सहायक बनें

14 comments:

kshama said...

Haan..harek naagreek ko in baton ko leke jaagruk hona chahiye..
yog, ko 'yoga' khana prachalit ho gaya hai..yebhi sach hai!

hem pandey said...

यह भी बताइये कि भगवान रामा, कृष्णा और बुद्धा योगा करते थे की नहीं.

shama said...

' कविता' पे Comment के लिए शुक्रिया !
सच तो ये है ,कि , अभी तो कुछ कहा ही नही ..! जो भी दर्द बहा,..उस पे तो मेरा कोई अधिकार ही नही ..!
और जहाँ सामाजिक सरोकार की बातें होती हैं, वहाँ, दिलो दिमाग दोनों लगा देती हूँ...जैसे ' http://lalitlekh.blogspot.com

यहाँ पे पुलिस reforms पे या कानूनों पे भी चर्चा की है..
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com

इस ब्लॉग पे ' बोले तू कौनसी बोली'.शीर्षक तहत, मज़ेदार यादें भी हैं..

इसी लिये तो मैंने १२/१३ अलग ब्लॉग बना लिए हैं, जहाँ,मेरी कला,( fiber art) baagwaanee, dharohar, gruhsajja,( chindichindi..जिसपे आपने load होने के पूर्व एक टिप्पणी दे दी थी..गर याद हो तो..यहाँ पे कला के अलावा पर्यावरण को लेके उपाय सुझाये हुए हैं....!कागज़ तथा प्लास्टिक का इस्तेमाल टाल ने के उपाय, या recycling के तरीके...) लिज्ज़त, आदि सब शामिल है...काव्य रचना तो बेहद छोटा हिस्सा है,मेरे जीवन का..और उसे लिखते समय मै केवल दिल का ही इस्तेमाल करती हूँ, ये बात शत प्रति शत सही है!

Urmi said...

अत्यन्त सुंदर! श्री कृष्ण जनमाष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें!

अमिताभ श्रीवास्तव said...

moun...yog..kai saari samasyao se nizaat dilaa deta he/ khaaskar pati patni ke beech ho to pradushan se mukt rah kar koi srajnatmak kaarya kiya jaa sakta he...
achha he aapka..zikr

sandhyagupta said...

Kritrim samaj par achcha prahaar kiya hai aapne.Shubkamnayen.

पूनम श्रीवास्तव said...

Apakee pravahamayee bhasha ..har lekh ko pathaneeya bana detee hai..svatantrata divas kee shubhkamnayen.
Poonam

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

चलिए आज से हम भी योगा करना प्रारम्भ कर ही देते हैं :)

Satish Saxena said...

हंसते हंसते आपको पढना बेहद सुखकर है !शुभकामनायें !

दिगम्बर नासवा said...

आपका कहना सही है............. कम से कम शोर प्रदूषण तो कम होगा.............. एक एक कर के सारे प्रदूषणों को कम करने में योगा पर और रिसर्च होनी चाहिए............

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

भाई, आपके ई-मेल के अभाव में आपकी प्रतिक्रिया का उत्तर कार्टून :- आईला, ये कौन है ! के संदर्भ में http://smritideergha.blogspot.com/ पर लिखा है...आशा है, अब कार्टून में मुस्कान आएगी :)

गौतम राजऋषि said...

हमारा योग तो आपकी करामाती लेखनी के संसर्ग में आते ही हो जाता है।

कैसे हैं, वकील साब?

संजीव गौतम said...

खूब हंसा पोस्ट को पढकर. वाकई व्यंग्य में बहुत बडी शक्ति है. कितने सलीके से मारा है कि उफ भी नहीं कर सकते. वाह!

रंजना said...

वाह !! अपार सुखकर !!
आनंद आगया आपका यह व्यंग्य आलेख पढ़कर....बहुत सी बातें मन में आयीं...लिखना शुरू करूँ तो आपकी पोस्ट से भी लम्बी हो जायेंगी...इसलिए बेहतर है कि बस इसी मुग्ध भाव के साथ विराम लिया जाय....