Friday, October 15, 2010

समाचार

हम समाचारों को चार वर्ग में विभक्त कर सकते हैं । अन्तर्राष्ट्रीय राष्ट्रीय प्रादेशिक और क्षेत्रीय ।क्षेत्रीय समाचार कुछ ऐसे होते है जिन्हे न समाचार कहा जा सकता है न अफवाह मगर इनमें से ही कुछ होती/होते है।ये अफवाह या समाचार न टीवी पर दिखाये जाते है न पेपर में छपते है लेकिन आदमी औरत बूढा बालक सबको मालूम रहता है । मै एसे ही दो क्षेत्रीय समाचारों से आपको अवगत कराना चाहूंगा।



एक वार सुनने में आया कि एक गिलकी सब्जीः से भरा हुआ ट्रक जारहा था । रात का वक्त था सडक पर नाग नागिन का एक जोडा था । ट्रक ने उन्हे कुचल दिया । तो साहब उस जोडे ने श्राप दिया कि गिलकी के पत्तों पर नाग नागिन की छवि उतर आयेगी । लोगों ने गिलकी के पत्ते देखे वाकई सफेद रंग की सर्प जैसी आकृति थी । मैने भी देखी ।यह समझ में नहीं आया कि उस जोडे ने मरने के वाद श्राप दिया या कि मरते मरते ।फिर गलती ड्रायवर की थी दण्ड उसको मिलना चाहिये था अब्बल तो आप रात में सडक पर गये ही क्यों मगर श्राप तो दे चुके तो दे चुके । अब साहब हालत ये कि सव्जी बेचने बाला कहे कि साहब एक रुपये की एक किलो ले लो तो भी कोई तैयार नहीं यहां तक कि कोई गिलकी मुफत में लेने को भी तैयार नहीं । जब तक कृषि विभाग यह तय करता कि यह कुछ नहीं एक कीडे का लार वा है इससे न तो फसल को कोई नुक्सान होता है न सब्जी खाने वाले को कोई नुक्सान है तब तक तो आलू का स्टाकिस्ट जिसके दो साल से आलू कोल्ड स्टोर में पडे थे और कोई खरीददार नहीं मिल रहा था उसके पास एक किलो आलू भी न बचे।

एक वार जब मै अपने नगर गया तो क्या देखा कि सभी के मकानों पर दरवाजे के दौनो तरफ हल्दी के हाथ के निशान बने थे । पूछा भैया ये क्या है तो मालूम हुआ कि एक चुडैल याने भूतनी भिखारन बन कर आयेगी ,वह प्याज और रोटी मांगेगी । जिसके दरबाजे के दौनो ओर ऐसे हल्दी के हाथ बने होंगे उस घर नहीं जायेगी। मै अपने मित्र के घर गया तो वहां भी । मै जानता था वे एसी बातों में विश्वास नहीं करते तो मैने पूछा भाई ये क्या बोले मै इन बातों में विश्वास नहीं करता । मैने पूछा फिर ये हल्दी के हाथ दरवाजे पर \बोले उसमें हर्ज ही क्या है ।कुछ दिन रह कर मै तो वापस आगया फिर पता नहीं चुडैल आई या नही हो सकता है आई हो तो हाथ के निशान देख कर वापस लौट गई हो परन्तु इतना अवश्य पता है कि एक माह वाद होने वाले चुनाव में कांग्रेस उस क्षेत्र से भारी बहुमत से विजयी हुइ थी ।

चलते चलते एक बात और वता दूं कि कुछ लोग भूतों पर विश्वास नहीं करते कहते है यह वहम है लेकिन हुजूर



एक दिन भूत के बच्चे ने भूत से कहा

पापा आज मुझे आदमी दिखा

भूत ने कहा बेटा आदमी वगैरा कुछ नहीं होता है

यंे अपन लोगों का वहम होता है

मै तो दिन में रात में

हाट में बाजार में

राज में दरवार में

गली और मैदान में

खेत और खलिहान में

संसद और विधान में

हर तरफ रहता हूं फिरता

मुझको तो कभी कोई आदमी नहीं दिखता