Thursday, September 23, 2010

यक बंगला बने न्यारा

ब्लॉग बना लेना जितना सरल है ब्लॉग पर निरंतरता बनाये रखना उतना ही कठिन है और भी सांसारिक परेशानियाँ है मै इतनी लम्बी अवधि तक अनुपस्थित रहा उसकी वजह और परेशानियाँ आप से शेयर करना चाहूंगा यह/ जानते हुए भी कि आजकल कौन किसके गम शेयर करता है| मैंने बहुत पहले हाऊसिंग बोर्ड में एक मकान बुक किया था कुछ नगद वाकी सब फाइनेंस , आजकल फाइनेंस इतना सरल हो गया है कि कुछ न पूछो यद्यपि जितना स्वीकार होता है उससे कम मिलता है मगर यह क्या कम है कि वगैर महनत के मिल जाता है, और भुगतान करेंगे तब देखा जायेगा|रीणम कृत्वा घृतं पिवेत तो साहब मुझे सूचना मिली कि आकर मकान का आधिपत्य प्राप्त करें | उस दिन पूरा घर चहक रहा था आपने मकान की लालसा हर किसी को रहती है कुंदन लाल सहगल ने गाया करते थे " यक बंगला बने न्यारा" ग़ालिब साहेब के पास तो पैसों की ही तंगी रहती थी मगर इच्छा तो उनकी भी थी तो उन्होंने यूं किया " बे दरो दीवार का इक घर बनाया चाहिए" काहे का कारीगर काहे का सीमेंट एक तो गाता ही रह गया " इक घर बनाऊंगा तेरे घर के सामने" क्या पता बेचारा बना भी पाया या नहीं तो साहब उस खुशी के माहोल में मैंने " पिय तन चितहि भोंह कर वांकी" वाले अंदाज में बेटे से कहा भैया अपन नए घर में चल रहे हैं पुरानी चीजें यहीं छोड़ चलेंगे | मै मुस्करा भी नहीं पाया था कि " हाँ छोड़ तो जाओगे तुम भी तो पुराने हो गए हो तुम भी मत जाओ" |

सब सदस्य सामान को नए घर में व्यबस्थित करने लगे थे मुझे फुर्सत थी सो मैंने टीवी खोल लिया एक चेनल रत्नों की जानकारी दे रहा था, चैनल बदला तो दूसरा ग्रहों की शांति के उपाय बतला रहा था, तीसरा चैनल खोला तो उसने बताया कि आपका मकान दक्षिण मुखी नहीं होना चाहिए सुनते ही मैं घबरा गया| बेटे को आवाज़ लगाईं भैया उत्तर किधर है ? वह बोला प्रश्न किधर है? मैंने कहा नहीं रे उत्तर दिशा किधर है उसने कहा आपकी पीठ तरफ | अरे ये तो बड़ा अनर्थ हो गया दक्षिण मुखी मकान ले लिया उत्तर दिशा में तो दरवाजा निकलवा भी नहीं सकते थे क्योंकि वहां तो मात्र तीन फिट की गली थी|

मै दरवाजे पर बैठा सोच में डूबा था और सोच रहा था कि मोहल्ले वाले मेरे सोचने के वारे में क्या सोच रहे होंगे तभी एक लड़का आया उसके पास पांच हरी मिर्च नीचे बीच में नीबू और पांच हरी मिर्च ऊपर ऐसे कई यंत्र थे उसने एक यंत्र मेरे दरवाजे पर टांग कर दस रूपये मांगे मै कुछ कहूं इससे पहले ही बोला आपकी लाइन में सबके यहाँ लगाता हूँ इससे दक्षिण मुखी का दोष मिट जाताहै पूछा ये यंत्र कितने दिन चलेगा बोला चोवीस घंटे मैंने कहा मतलब तीन सौ रुपया माह्बार तू लेगा| बोला नहीं, अगर आप एक माह का एडवांस देंगे तो ढाई सौ ही लगेंगे| मैंने अपने एक मित्र को फोन लगाया कहा यार यहाँ तो तीन सौ रूपये का अतिरिक्त खर्च बढ़ गया है, तो उसने कहा कहीं से काले घोड़े की नाल लाकर टांग दो हमेशा के लिए दोष दूर |

यहाँ तक तो ठीक मगर इस मकान में तो सारा ही काम उल्टा था| चेनल ने बताया फलां साइड में किचिन होना चाहिए वहां बाथरूम था था | नल की फिटिंग वरुण देव के बिलकुल विपरीत दिशा में थी| एक मित्र बोले चलो रसोई घर की समस्या मै मिटा देता हूँ| हम किचिन में पहुंचे तो मित्र एकदम उदास हो गए पूछा क्या हुआ ? बोले यार क्या बताएं चूल्हा होता तो उसके मुह की दिशा बदल देते मगर यहाँ तो गैस है| मुझे अपनी का वक्त याद आगया खांसी ज्यादा थी तो डाक्टर बोला एक्सरे निकलवा लो रिपोर्ट जब मिली तो सबसे पहले एक्सरे उलट पुलट कर मेने देखा उसमे कुछ धब्बे से दिखे | मरीज ही क्या जो डाक्टर ko बताने से पहले खुद एक्सरे न देखे| डाक्टर ने एक्सरे प्लेट देखी और एक दम गंभीर हो गया मेरा दिल धडकने लगा| डाक्टर ने गंभीरता पूर्वक पूछा सिगरेट पीते हो? मैंने कहा नहीं डाक्टर गम्भीर से गंभीरतम हो गया | मैंने पूछा क्या बात है साब? तो डाक्टर बोला अगर तुम सिगरेट पीते होते, तो, सिगरेट छोड़ने से तुम को बहुत फायदा हो सकता था|

खैर मेरी समस्या ज्यों की त्यों बनी है ""और करे अपराध कोऊ और पाव फल कोऊ"" की तर्ज पर हाऊसिंग बोर्ड वालों ने की गलती और फल मुझे भुगतना pad रहा है| थोड़ी इतनी भी खुली जगह न दी कि एक नीबू का पेड़ लगा सकूं मिर्च बो सकूं मेरा तीन सौ रुपया मासिक बच तो सकता है मगर घोड़े की नाल नहीं मिल पा रही है|

21 comments:

kshama said...

Bade dinon kee gaihaziri ke baad aapka aagman hua ye sabse adhik khusheeki baat...
Haan,jo ghar bananekee prakriya se guzarta hai,wahi janta hai ki wo kya bala hoti hai...! Aapkee lekhan shaili aise baha le gayi jaise sab mujhpe beet raha ho..aalekh khatm hua to jaan me jaan aayi!

रंजना said...

मैं तो कमर पर हाथ धर पूरे मूड में आई थी कि ,आज नजर आये हैं,जमकर हिसाब लिया जाय....ऐसे भी कोई गायब होता है भला...
लेकिन आपने तो कारण पहले ही घर के आगे निम्बू मिर्ची के साथ टांग दिया है....अब क्या कहूँ ???????
ऐसे भी गायब न हुआ कीजिये...प्लीज !!!

यदि यह व्यंग्य आलेख है तो कहूँगी ....लाजवाब .... और यदि यह सचमुच की व्यथा है आपकी तो यही कहूँगी...ईश्वर पर भरोसा है तो फुल निश्चिन्त रहिये...भगवान् जी सभी दिशाओं में रहते हैं...हाँ बचना ही है तो उन सबसे बचिए जो वास्तुशाश्त्र की जानकारी रखते हैं...

Satish Saxena said...

हा..हा..हा..हा...
बहुत खूब भाई जी !
घोडा भी काला होना चाहिए ..याद रखना ! अगर और फालतू समय हो तो वास्तु शास्त्र कि किताब खरीद लाओ ! थोड़े दिनों में घर बदलने कि सोचने लगोगे ! मेरे लायक कोई सेवा हो तो बताना !
सादर !

राज भाटिय़ा said...

अरे अरे बाबा अगर घर का मुख दक्षिण दिशा मै है तो कोई बात नही, मेरे पास एक मंत्र है, जिस से एक बार मेरे कहे स्थान पर गाड देने से सब कष्ट दुविधाये खुद वा खुद भाग जाती है, मंत्र एक विशेष पत्र पर लिख कर मकान के नीचे दबाना होता है, कीमत मात्र १० लाख, जब चाहो मंगाओ,नये ग्राहक लाने पर ११,१% आप को मिलेगा:)
आप का लेख मजेदार जी, धन्यवाद

ज्योति सिंह said...

har baat jeevan ki sachchai aur vyatha ujagar kar rahi hai ,aarambh se ant tak kab pahunch gayi gyat hi nahi hua ,chhoti chhoti bate magar kitni aham ,ghar ki vyavastha se lekar uski suraksha tak ka intjaam karana itna aasan nahi hota hai .gaano ka chunao bahut behtar hai .
mujhe khushi hui ki aapne apne sundar sujhao diye ,aap jo chahte wo bilkul sahi hai ,chhote me likhi thi shayad itna dhyaan nahi diya ,aage likhte waqt sudhar jaroor kar doongi .

Arvind Mishra said...

ये पूरी पोस्ट नहीं है ..पहले दास्ताँ पूरी कीजिये तब कमेन्ट नामक दक्षिणा पाईये जजमान से .

पूनम श्रीवास्तव said...

आदरणीय सर, बहुत दिनों के बाद आप ब्लाग पर आये बहुत अच्छा लगा। आपकी टिप्पणियां मेरे लिये बहुत बड़ी प्रेरणा का काम करती हैं।----आपने मकान के बहाने अच्छे प्रश्नों को उठाया है। शुभकामनायें।

डॉ टी एस दराल said...

समस्या तो गंभीर है । लेकिन आपने इसे बड़ा रोचक बना दिया है । अब हमें भी आगे का इंतजार है ।

Abhishek Ojha said...

हा हा, उत्तर किधर है के जवाब में प्रश्न वाला सबसे मजेदार लगा. अभी भी मुस्कुरा रहा हूँ :)

देवेन्द्र पाण्डेय said...

बेघर ने घर बनाया इतना बवाल क्यों
शुशियों से मेरे आपके इतना मलाल क्यों
..घर बनाने से पहले सोचने की बात घर बनाने के बाद नहीं सोचते। सिर्फ इतना ध्यान दीजिए कि घर में धूप, हवा और पानी मिलता रहे।
..मजा आया पढ़कर।

शरद कोकास said...

भाई घूमती हुई पृथ्वी पर आपका घर बना है ना फिर काहे दिशा की चिंता ..

रचना दीक्षित said...

नए घर की बहुत बहुत बधाई!!! पर ऐसे आप अपनी मुश्किलों का जिक्र करके हमें बुद्धू बनाकर दावत से तो नहीं बच सकते. कब आना है और कहाँ ?????

डॉ. मोनिका शर्मा said...

मजेदार लेख..... :)

Mumukshh Ki Rachanain said...

अगर तुम सिगरेट पीते होते, तो, सिगरेट छोड़ने से तुम को बहुत फायदा हो सकता था|

त्याग में ही फायदा है, अगर आप हर चीज़ को त्याग देंगें तो कोई क्या फायदे की बात समझा कर आपको बेवकूफ बना कर अपना मतलब साध सकेगा.......

चन्द्र मोहन गुप्त

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

श्रीवास्तव जी, मजा आ गया, शेष अंश की प्रतीक्षा रहेगी।
................
…ब्लॉग चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।

ZEAL said...

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बृजमोहन जी,

नीबू -मिर्च उतार कर फेंक दीजिये और हो जाइये मुक्त दकियानूसी बातों से। ये नीबू आपकी उतनी रक्षा नहीं करेंगे जितना की ३०० रूपए महिना आपके स्वास्थ्य को नुक्सान पहुँचायेंगे।

शानदार व्यंग की बधाई !

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दिगम्बर नासवा said...

बृजमोहन जी ... आप बहुत समय बाद ज़रूर आए हैं ब्लॉग पर .... पर उसी तल्खी और चुलबुले व्यंगात्मक अंदाज़ में .... स्वागत है आपका .... आशा है ये आपबीती नही है ... अगर है तो भगवान जल्दी ही स्वस्थ लाभ करेगा ....

कविता रावत said...

बहुत सुन्दर व्यंगमयी प्रस्तुति....
...हार्दिक शुभकामनाएँ

hem pandey said...

देर आयद दुरस्त आयद !एक बढ़िया व्यंग्य |

Alpana Verma said...

बहुत दिनों बाद आप ने कोई पोस्ट लिखी है लेकिन बहुत ही अच्छा व्यंग्य लगा.
नीबू और पांच हरी मिर्च के यंत्र का भी कोई विकल्प कहीं होगा ..वास्तु की किताबें देखनी होंगी .

Smart Indian said...

हर आर्किटेक्ट को चैनल बाबा द्वारा प्रमाणित होना चाहिये।