Thursday, July 21, 2011

सबसे पहले और सिर्फ "हम "

एक छोटे से ब्रेक के बाद हम पुन हाजिर होते है कही भी मत जाइयेगा । इस ब्रेक के बाद हम बतलायेंगे आपको एक ऐसे कुआ के बारे में जिसका पानी पीते ही आदमी हिंसक हो जाता है।

केवल हम ही बतला रहे है पहलीबार आपको। जी हां यह कुआ है मध्यप्रदेश के चंम्बल संभाग में । इस कुये ने पैदा किये है अनगिनत डाकू। इस कुये का पानी पीते ही आदमी का खून खौलने लगता है , उसमें बदले की भावना जाग्रत होजाती है और उसके साथ किये गये लोगों के दुर्व्यवहार इस जन्म के और पूर्व जन्म के सभी उसे याद आने लगते है । कुये का पानी पीते ही सबसे पहले उसका ध्यान जाता है बन्दूक की ओर ,और फिर अपने दुश्मन से बदला लेकर कूद जाता है चम्बल के बेहडों में । वह या तो किसी गिरोह में शामिल हो जाता है या फिर अपना स्वयं का गिरोह बनालेता है। जबकि इस कुये का पानी पीने के पहले ऐसी कोई भावना नहीं होती । आदमी सज्जन होता है व्यवहार कुशल होता है , सबसे हिलमिल कर रहता है किन्तु पानी पीते ही उसे क्या हो जाता है यह जांच का विषय है।

पानी जो जीवन है पानी जो नदी में जाता है तो गंगाजल बन जाता है ,पानी जो समुद्र में जाकर खारा हो जाता है कोई चमत्कार हो जाये तो मीठा भी हो जाता है , पानी जो प्रकृति की अनुपम देन है और 15 रुपये में एक बोतल मिलता है , वही पानी इस कुये में पहुंच कर कितना घातक रासायन बन जाता है , अफसोस इस पानी का अभीतक वैज्ञानिक परीक्षण व विश्लेषण नहीं किया गया । इस कुये के पानी का यदि चिकित्सा वैज्ञानिको व्दारा अनुसंधान किया जाता तो इससे डिप्रेशन और फोविया जैसी बीमारियों की दबायें तैयार की जासकतीं थी। मगर हम इस ओर जागृत नहीं है । जी हां यह वही कुआ है जिसका पानी पीते ही आदमी की नसों मे रक्त तेजी से दौडने लगता है । कई आदमी प्यास लगने पर कुआ खोदते है मगर यह पहले से ही खुदा हुआ है कितना प्राचीन है इस पर भी शोध होना जरुरी है।

इस कुये का पानी पीते ही डकैत बनकर उसका ध्यान जाता है अमीरों की ओर उन्हे लूटने का , गरीबों की ओर उन्हे कुछ मदद करने का ताकि बदले में वे उसकी मदद करते रहे । उसकी नजर में आजाते है ऐसे अमीर लोग जिनसे फिरौती बसूल की जा सकती है।

जीं हां ये जो आप देख रहे है यही है वह कुआ । चम्बल के खतरनाक पानी का कुआ । इस कुये ने कई मानसिंह पैदा किये, कई लाखन पैदा किये , कई लहना पैदा किये , कई पुतली बाई पैदा की और निश्चित ही इसी कुये के पानी की नहर गई होगी फूलन के गांव में ।

आइये हम अब इस कुये के पास निवासी लोगों से आपको मिलवाते है कि क्या कारण है कि लोग इस कुये का पानी पीने से कतराते है, क्यों नहीं चाहते कि वे स्वम और उनके बच्चे इस कुये का पानी पियें । इसी गांव के निवासी हैं ये बुजुर्ग , इनसे पूछते हैं -
आप इसी गांव में रहते है - जी हां
क्या उम्र होगी आपकी -- यही कोई 50-60 वर्ष

क्या आप बतलायेंगे कि आखिर क्या बात है ऐसा कौनसा कारण है कि आप इस कुये का पानी पीने से परहेज करते है।
बुजुर्ग - जी कुये में पानी ही नहीं है वर्षो से सूखा पडा हुआ है।

Thursday, July 14, 2011

हाई अलर्ट और बरसात

बरसात का पानी कालोनी में घुटने घुटने भर गया और वह फिल्मी गाना "बरसात में हमसे मिले तुम सजन तुमसे मिले हम" व्यर्थ हो गया तो नगरनिगम जाकर निवेदन किया कि वे अलर्ट घोषित करदें ताकि नगर के कर्मचारी अलर्ट हो जायें और पानी के निकास की व्यवस्था करदें। वे नाराज होकर बोले पिछली साल ही तो आपकी कालोनी के लिये अलर्ट घोषित किया गया था । आपको कुछ काम तो है नहीं चले आते हो मुंह उठाये ,और आपको पानी से दिक्कत क्या होरही है। हमने निवेदन किया कि सर सडक दिखाई नहीं देती है । बोले -क्यों देखना चाहते हो सडक ? निवेदन किया कि सडक मे जगह जगह गडढे होरहे है जब वे दिखाई नहीं देंगे तो उनसे बच कर कैसे चलेंगे। बोले -गडढे दिखने लगेंगे तो फिर आजाना कि अलर्ट घोषित करके गडढे भरवा दो।हमें और भी कोई काम है या नहीं या फिर आपका ही काम करते रहे। और आप तो बहुत अच्छी स्थिति में हो , दूसरी कालोनियों में तो कमर कमर पानी भरा हुआ है वे तो नहीं आये शिकायत करने आप बडे जागरुक नागरिक बने हुये है।
खैर साहब किसी तरह पानी के निकास की व्यवस्था तो हो गई परन्तु पुन पानी बरसने तक कालोनी की सडक की "आज रपट जायें तो हमे न उठइयो " वाली स्थिति बनी रहीं ।

प्यारी अंग्रेजी भाषा में एक बहुत प्यारा सा ,दुलारा सा शब्द है ’अलर्ट ’ जो हम होश सम्हाला है तब से(:यदि वास्तव में सम्हाला हो तो:) सुनते आरहे है, जिसके हिन्दी शब्दकोष में भी बहुत प्यारे प्यारे दुलारे दुलारे पर्यायवाची शब्द हमें मिल सकते है मसलन फुर्तीला ,चौकन्ना, तेज, प्रसन्नवदन, जागरुक, सतर्क, आदि इत्यादि।
शब्दकोष में हाइअलर्ट शब्द उपलब्ध नही हो सका । परन्तु प्यारे शब्दों के साथ 'कुछ' लगाने की आवश्यकता हमेशा महसूस की गई जिसे हम विशेषण भी कह सकते हैं की प्रथा बहुत प्राचीन होने से,यथा महान आत्मा, महान पुरुष तो इस अलर्ट के साथ भी एक विशेषण लगाया गया, महान चौकन्ना ,महान जागरुक । चूंकि अलर्ट अंग्रेज़ी का शब्द है तो इसके साथ महान के बदले में हाई का प्रयोग किया गया ।
हाइ अलर्ट होता नहीं है इसे घोषित किया जाता है। इस महान अलर्ट को कब घोषित किया जाना है यह महापुरुष ही तय करते है। जब कोई घटना घटित होजाती है तो इसे घोषित कर दिया जाता है। फिर यह हाइ अलर्ट घीरे धीरे या एकदम कब लो- अलर्ट में परिवर्तित हो जाता है इसका पता ही नहीं चलता । जब पुन हाई अलर्ट घोषित होता है तब पता चलता है कि यह हाइ अलर्ट ,लो अलर्ट हो चुका था । स्वभाविक ही है यदि हाइ अलर्ट चल ही रहा होता तो फिर मोस्ट हाई अलर्ट होना चाहिये था । और चूंकि जब पुन हाई अलर्ट घोषित किया गया है तो इसका अर्थ यही है कि हाइ अलर्ट लो अलर्ट में परिवर्तित हो चुका था ।
यदि अलर्ट का अर्थ जागरुक या सावधान से लगाया जाये तो स्वाभाविक है कि हमेशा कोई भी सावधान नहीं रह सकता उसे विश्राम की आवश्यकता होती है।
अति सर्वत्र वर्जयेत का सिध्दान्त भी लागू होता है जो अति करता है उसकी जगह या तो अस्पताल है या फिर तिहाड।
बचपन मे बच्चे शैतानी करते है दिनभर उधम किया करते है मां चिल्लाती रहती है परन्तु जैसे ही बाप घर में आता है हाइ अलर्ट घोषित हो जाता है। इसी तरह की कुछ कार्यालयों की भी स्थिति होती है।अत कुछ हद तक अलर्ट के लिये बाप बॉस ,बाढ और बरसात का आना जरुरी है। लेकिन अलर्ट होता है इन सब आने के बाद ही। यदि बाढ आने के पहले ही बाढ का इन्तजाम कर लिया तो ?, अब्बल तो बाढ आयेगी ही नहीं और अगर आ भी गई तो कर क्या लेगी । फिर अलर्ट और हाइ अलर्ट का मलतब ही क्या रह जायेगा । अत इस शब्द की सार्थकता बनाये रखने के लिये आवश्यक है कि बाढ , बाप और बॉस और बरसात के आने का इन्तजार किया जाये।