अमावस की रात और पतझड़ का सौंदर्य किसे भाता है
सुन्दरता का रहस्य सबकी समझ में कहाँ आता है
सौन्दर्य विरोधी बगीचे में खड़े ठूंठ है
कल कल करती नदी के किनारे
झरने गिराते पर्वत के नींचे
खड़े ऊँट हैं
इनका वस चले तो सुन्दर शब्दों को
डिक्शनरी से फाड़ दें
और खजुराहो के मन्दिर को
मिट्टी में गाड़ दें
Tuesday, April 22, 2008
याद
सिकंदर कब गया कैसे गया कुछ पता नहीं
क्या लाया था क्या ले गया यह भी पता नहीं
में अपनी बात करता हूँ ,सिकंदर की नहीं
में दिल की बात करता ,धर्म ग्रन्थ की नहीं
अगले जन्म में उनको सब बातें बताउंगा
इस वास्ते यादों को साथ ले ही जाऊँगा
क्या लाया था क्या ले गया यह भी पता नहीं
में अपनी बात करता हूँ ,सिकंदर की नहीं
में दिल की बात करता ,धर्म ग्रन्थ की नहीं
अगले जन्म में उनको सब बातें बताउंगा
इस वास्ते यादों को साथ ले ही जाऊँगा
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