अमावस की रात और पतझड़ का सौंदर्य किसे भाता है
सुन्दरता का रहस्य सबकी समझ में कहाँ आता है
सौन्दर्य विरोधी बगीचे में खड़े ठूंठ है
कल कल करती नदी के किनारे
झरने गिराते पर्वत के नींचे
खड़े ऊँट हैं
इनका वस चले तो सुन्दर शब्दों को
डिक्शनरी से फाड़ दें
और खजुराहो के मन्दिर को
मिट्टी में गाड़ दें
Tuesday, April 22, 2008
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