उनके ब्लॉग पर जाना तो इक बहाना था
हमें तो अपने ब्लॉग पर उन्हें बुलाना था
गए ,न देखा न समझा न ध्यान से पढा
बस"" बहुत अच्छा "" लिख कर लौट आना था
मैं लिखता हूँ पाठक मिलते नहीं
जैसे सार्वजनिक बाथरूम में चिपके ,
शर्तिया इलाज़ के विज्ञापन कोई पढ़ते नहीं
पाठक सौ न आते एक ही आता / शब्द बदलने को कहता गलतियाँ बताता
मार्ग दर्शन करता कुछ मशवरे देता
ताकि मेरे लेखन में कुछ सुधार आता
फुर्सत कहाँ किसी को किसी के सुधार की
सबको तो बस अपना ही लिखा पढ़वाना था
Monday, September 29, 2008
Sunday, September 28, 2008
मंजिल
एक मंजिल ,राहें दो /राहबर न हो ,और ज्ञान भी कम हो /
राहबर मिलेगा तो गुमराह करेगा
हमराह गर मिला तो लूट मार करेगा
उलटा भी हो सकता है
राहबर हमराह में भेद करना मुश्किल है
मंजिल को पाने में ये बडी उलझन है
निस्पंद हो बैठ जाओ ,ध्यान में डूब जाओ
घटना घट जायेगी ,मंजिल ख़ुद चल कर आजायेगी
राहबर मिलेगा तो गुमराह करेगा
हमराह गर मिला तो लूट मार करेगा
उलटा भी हो सकता है
राहबर हमराह में भेद करना मुश्किल है
मंजिल को पाने में ये बडी उलझन है
निस्पंद हो बैठ जाओ ,ध्यान में डूब जाओ
घटना घट जायेगी ,मंजिल ख़ुद चल कर आजायेगी
Friday, September 26, 2008
साक्षात्कार
एक दिन ईश्वर से साक्षात्कार हुआ
प्रभो ,मेरे साथ बडा अन्याय हुआ
तो adaalt चला जा
prabhoo में dukhee हूँ दुःख मुझे खाए jata है
तो ulloo की dum asptal क्यों नही jata है
adalat से baree होने मन्दिर में आया है
मैं jaantaa हूँ
मगर मैं किसी वकील का hq भी naheen maartaa हूँ
too zmeen के kbze भी मुझसे ही chahega
तो tehseeldaar क्या khayega
too चोरी की janch मुझसे चाहता है
मैं अखिल brahmand का एक maatr swaamee laxmee पति
मुझे ds hzar mahinaa का thanedaar बनाना chahtaa है
तेरा तो jeevn तूने अपने हाथों bna rakhaa है nrk
नही sunoonga तेरा कोई trk
तेरी तो baichen रहने की adat है
मुझे तो चैन से रहने दे
प्रभो ,मेरे साथ बडा अन्याय हुआ
तो adaalt चला जा
prabhoo में dukhee हूँ दुःख मुझे खाए jata है
तो ulloo की dum asptal क्यों नही jata है
adalat से baree होने मन्दिर में आया है
मैं jaantaa हूँ
मगर मैं किसी वकील का hq भी naheen maartaa हूँ
too zmeen के kbze भी मुझसे ही chahega
तो tehseeldaar क्या khayega
too चोरी की janch मुझसे चाहता है
मैं अखिल brahmand का एक maatr swaamee laxmee पति
मुझे ds hzar mahinaa का thanedaar बनाना chahtaa है
तेरा तो jeevn तूने अपने हाथों bna rakhaa है nrk
नही sunoonga तेरा कोई trk
तेरी तो baichen रहने की adat है
मुझे तो चैन से रहने दे
Wednesday, September 24, 2008
करुना
जो अक्सर कम ही होता है वह हुआ /बडे साहब का निरीक्षण हुआ
टेबल कुर्सी अलमारी फर्श , चकाचक देखी सफाई
खुशी से गदगद ,कौन करता है ऐसी सफाई
कर दिया उस युवक को आगे छोटे साहब ने
सर,लगनशील है ,वफादार है /एम् -ऐ-पास होकर भी ईमानदार है
बड़े साहब का दिल करुना से भर आया
शिक्षा के अवमूल्यन पर बहुत क्रोध आया
आंखों में आंसू ,दिल में दुःख ,ऑफिस में मानो करुण रस उतर आया
ड्यूटी बदलने का आदेश हुआ तत्काल
अब आदेश ,ऑफिस की आर्डर बुक पर चढ़ रहा है
युवक अब ऑफिस में सफाई करने के बदले
बड़े साहब के बंगले पर
सफाई कर रहा है
टेबल कुर्सी अलमारी फर्श , चकाचक देखी सफाई
खुशी से गदगद ,कौन करता है ऐसी सफाई
कर दिया उस युवक को आगे छोटे साहब ने
सर,लगनशील है ,वफादार है /एम् -ऐ-पास होकर भी ईमानदार है
बड़े साहब का दिल करुना से भर आया
शिक्षा के अवमूल्यन पर बहुत क्रोध आया
आंखों में आंसू ,दिल में दुःख ,ऑफिस में मानो करुण रस उतर आया
ड्यूटी बदलने का आदेश हुआ तत्काल
अब आदेश ,ऑफिस की आर्डर बुक पर चढ़ रहा है
युवक अब ऑफिस में सफाई करने के बदले
बड़े साहब के बंगले पर
सफाई कर रहा है
Tuesday, September 23, 2008
अनुशासन
गलती बड़ी थी ,बदतमीजी की अन्तिम कड़ी थी
शिक्षक कर्मयोगी था ,अनुशासन हीनता विरोधी था
""चल वे मुर्गा बन जा "
लड़का बेखौफ था चेहरे पर रौब था
सर आप पहचानते नहीं हैं ,मेरे पिता ....को जानते नहीं है
बड़े बाप का नाम सुनकर शिक्षक घबराया
माथे पर पसीना आया ,वाणी में मिठास लाया
विद्यार्थी को पास बुलाया
प्रभू आप बहुत बड़े ,मैं मामूली सा शिक्षक
मुझ पर रहम खाइए , और कृपा करके
मेरी टेबल पर
मुर्गा बन जाईये
शिक्षक कर्मयोगी था ,अनुशासन हीनता विरोधी था
""चल वे मुर्गा बन जा "
लड़का बेखौफ था चेहरे पर रौब था
सर आप पहचानते नहीं हैं ,मेरे पिता ....को जानते नहीं है
बड़े बाप का नाम सुनकर शिक्षक घबराया
माथे पर पसीना आया ,वाणी में मिठास लाया
विद्यार्थी को पास बुलाया
प्रभू आप बहुत बड़े ,मैं मामूली सा शिक्षक
मुझ पर रहम खाइए , और कृपा करके
मेरी टेबल पर
मुर्गा बन जाईये
Monday, September 22, 2008
मात्र हास्य तुकबंदी
घूंघट में वो सिमटी बैठी
सोचा मैंने इससे जीवन डोर बंधलूँ
पर घूंघट में समझ न पाया
विधुबदनी है या म्रगनयनी ,,चंद्रवदन म्रगसावकनयनी
मनभावन सुंदर है या यौवन में अलसाई
प्रेम लालाइत बाला है अथवा है सुखदाई
रुचिकर और मनोरम है या है सलज्ज मुस्कान
सुंदर दंतअवलि बाली है या है रस की खान
प्रेम पूर्ण चितवन है या फ़िर है चितवन मुस्कान भरी
तिरछी चितवन है या सीधी या फ़िर है उल्लास भरी
झिलमिल करती गौर देह है या फ़िर है सुकुमार सलोनी
देवलोक की स्वर्ण अप्सरा या फ़िर है कोई अनहोनी
घूंघट में सिमटी बैठी वो मुहं को करके नीचे
मैंने उसके पैर ही देखे ...एडी आगे पंजे पीछे
सोचा मैंने इससे जीवन डोर बंधलूँ
पर घूंघट में समझ न पाया
विधुबदनी है या म्रगनयनी ,,चंद्रवदन म्रगसावकनयनी
मनभावन सुंदर है या यौवन में अलसाई
प्रेम लालाइत बाला है अथवा है सुखदाई
रुचिकर और मनोरम है या है सलज्ज मुस्कान
सुंदर दंतअवलि बाली है या है रस की खान
प्रेम पूर्ण चितवन है या फ़िर है चितवन मुस्कान भरी
तिरछी चितवन है या सीधी या फ़िर है उल्लास भरी
झिलमिल करती गौर देह है या फ़िर है सुकुमार सलोनी
देवलोक की स्वर्ण अप्सरा या फ़िर है कोई अनहोनी
घूंघट में सिमटी बैठी वो मुहं को करके नीचे
मैंने उसके पैर ही देखे ...एडी आगे पंजे पीछे
इन्सान
वो इंसान कैसे हैं जो इंसान को जिंदा जलाते हैं
न संतों के वचन ना नर्क से ही खौफ खाते हैं
लोग पहले भी ऐसे काम करते थे
जिंदा जला कर सती का नाम देते थे
अब हम आधुनिक है ,
हमारी इंसानियत मरी नहीं है
हैवानियत हम में भरी नहीं है
हम इंसान हैं इंसान को ज़िंदा जलाते नहीं हैं
पहले उसे कत्ल करते हैं फिर ही जलाते हैं
न संतों के वचन ना नर्क से ही खौफ खाते हैं
लोग पहले भी ऐसे काम करते थे
जिंदा जला कर सती का नाम देते थे
अब हम आधुनिक है ,
हमारी इंसानियत मरी नहीं है
हैवानियत हम में भरी नहीं है
हम इंसान हैं इंसान को ज़िंदा जलाते नहीं हैं
पहले उसे कत्ल करते हैं फिर ही जलाते हैं
Saturday, September 20, 2008
नक़ल
मैंने नक़ल की दरखास्त लगाई
उसने दरखास्त में खामी बताई
दुरुस्ती कैसे होती है सब को पता है
इसलिए मैंने आपको नहीं बताई
आठ दिन की तारीख लगी
महिनाभर फाइल नक़ल में ही नही आई
चाय नाश्ता हुआ
इतर पान हुआ
कुछ और भी हुआ
मुझे नक़ल मिल गई मैं खुश हो गया
हालाँकि पाँच रूपये की नक़ल में दो सौ का खर्चा हो गया
उसने दरखास्त में खामी बताई
दुरुस्ती कैसे होती है सब को पता है
इसलिए मैंने आपको नहीं बताई
आठ दिन की तारीख लगी
महिनाभर फाइल नक़ल में ही नही आई
चाय नाश्ता हुआ
इतर पान हुआ
कुछ और भी हुआ
मुझे नक़ल मिल गई मैं खुश हो गया
हालाँकि पाँच रूपये की नक़ल में दो सौ का खर्चा हो गया
Friday, September 12, 2008
सास ससुर पद पूजा
बहुत खुश थी घर खर्च चलाने हाथ में तनखा लेकर
बाइयां काम पर लग गईं - इनको फुर्सत मिल गई
फुर्सत में धर्म की ओर झुकाओ स्वभाबिक है
ग्रन्थ और प्रवचन भी आवश्यक है
सुना पढ़ा
सादर सास ससुर पद पूजा
ह्रदय परिवर्तन हुआ -पति से आग्रह हुआ
अभी ख़बर भिजवाओ -गों से माताजी को बुलवाओ
बेटे ने माताजी को बुला लिया
बहू ने काम बाली बाईयों को हटा दिया
बाइयां काम पर लग गईं - इनको फुर्सत मिल गई
फुर्सत में धर्म की ओर झुकाओ स्वभाबिक है
ग्रन्थ और प्रवचन भी आवश्यक है
सुना पढ़ा
सादर सास ससुर पद पूजा
ह्रदय परिवर्तन हुआ -पति से आग्रह हुआ
अभी ख़बर भिजवाओ -गों से माताजी को बुलवाओ
बेटे ने माताजी को बुला लिया
बहू ने काम बाली बाईयों को हटा दिया
कवि गोष्ठी
यह कविता नहीं तुक बंदी है
मात्र शव्दों की जुगल बंदी है
श्रोता बिचारा 'मुसीवत का मारा
प्रेम से बुलाया 'लिहाज से आया
उवासी लेता रहा कभी आह कभी वह करता रहा
भागने का मौका तलाश करता रहा
कवि की करूँ रचना से भावुक श्रोता सिसकने लगते हैं
और गोष्ठी के कुछ कवि अपनी सुना कर खिसकने लगते हैं
जो नहीं सुना पाये उनका रुकना ज़रूरी है
अपने नंबर का इंतजार उनकी मजबूरी है
जिसने सुनादी उसका तो काम बन जाता है
जिसे अध्यक्ष बनाया वो फंस जाता है
गोष्ठी समापन तक उसका रुकना लाजिम है
और अध्यक्ष दे नाते यह बात भी बाजिब है
मात्र शव्दों की जुगल बंदी है
श्रोता बिचारा 'मुसीवत का मारा
प्रेम से बुलाया 'लिहाज से आया
उवासी लेता रहा कभी आह कभी वह करता रहा
भागने का मौका तलाश करता रहा
कवि की करूँ रचना से भावुक श्रोता सिसकने लगते हैं
और गोष्ठी के कुछ कवि अपनी सुना कर खिसकने लगते हैं
जो नहीं सुना पाये उनका रुकना ज़रूरी है
अपने नंबर का इंतजार उनकी मजबूरी है
जिसने सुनादी उसका तो काम बन जाता है
जिसे अध्यक्ष बनाया वो फंस जाता है
गोष्ठी समापन तक उसका रुकना लाजिम है
और अध्यक्ष दे नाते यह बात भी बाजिब है
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