मैंने नक़ल की दरखास्त लगाई
उसने दरखास्त में खामी बताई
दुरुस्ती कैसे होती है सब को पता है
इसलिए मैंने आपको नहीं बताई
आठ दिन की तारीख लगी
महिनाभर फाइल नक़ल में ही नही आई
चाय नाश्ता हुआ
इतर पान हुआ
कुछ और भी हुआ
मुझे नक़ल मिल गई मैं खुश हो गया
हालाँकि पाँच रूपये की नक़ल में दो सौ का खर्चा हो गया
Saturday, September 20, 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment