गलती बड़ी थी ,बदतमीजी की अन्तिम कड़ी थी
शिक्षक कर्मयोगी था ,अनुशासन हीनता विरोधी था
""चल वे मुर्गा बन जा "
लड़का बेखौफ था चेहरे पर रौब था
सर आप पहचानते नहीं हैं ,मेरे पिता ....को जानते नहीं है
बड़े बाप का नाम सुनकर शिक्षक घबराया
माथे पर पसीना आया ,वाणी में मिठास लाया
विद्यार्थी को पास बुलाया
प्रभू आप बहुत बड़े ,मैं मामूली सा शिक्षक
मुझ पर रहम खाइए , और कृपा करके
मेरी टेबल पर
मुर्गा बन जाईये
Tuesday, September 23, 2008
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2 comments:
बहुत अच्छा
कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा ले तो टिप्पणी देने वालों कों आसानी रहेगी
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