Monday, September 22, 2008

इन्सान

वो इंसान कैसे हैं जो इंसान को जिंदा जलाते हैं
न संतों के वचन ना नर्क से ही खौफ खाते हैं
लोग पहले भी ऐसे काम करते थे
जिंदा जला कर सती का नाम देते थे
अब हम आधुनिक है ,
हमारी इंसानियत मरी नहीं है
हैवानियत हम में भरी नहीं है
हम इंसान हैं इंसान को ज़िंदा जलाते नहीं हैं
पहले उसे कत्ल करते हैं फिर ही जलाते हैं

1 comment:

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया रचना है।बधाई।