Friday, October 24, 2008

नारी पूजा

मनु ने कहा ,करें देवता वास करो नारी की पूजा
ह म क र ते तो हैं
दस घर झाडू बर्तन कर ,अपना कमा खाती और
दारू हमें पिलाती
नशे की मार , //और और पीने की इच्छा अपार
मान मनुहार का जब नहीं होता असर
मानने को तैयार नहीं पति-परमेश्वर
पैसे देने को नहीं तत्पर
उसका विद्रोह ,हमारा क्रोध
तो लग जाती है प्रतिष्ठा दावं पर
कभी लातों से कभी घूंसों से .कभी डंडों से कभी जूतों से
पूजा
ह म क र ते तो हैं
चल रहा है अंतहीन सिलसिला
चीखती आवाज़ का ,शोषण के नये अंदाज़ का
जब खुशामद नहीं होती मददगार //,हमारे नशे हेतु ,माग कर नही लाती उधार
तो मजबूरी में हमें लाना पढता है ,जूतों से उसकी त्वचा पर निखार
नये नये उबटन से , पूजा
ह म क र ते तो हैं

6 comments:

seema gupta said...

दीप मल्लिका दीपावली - आपके परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली एवं नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

Satish Saxena said...

बड़े भाई !
दीपावली की शुभकामनायें स्वीकार करें !

संगीता-जीवन सफ़र said...

दीपोत्सव आपके और आपके परिवार के लिये मंगलमय हो बहुत-बहुत शुभकामनाये/

sandhyagupta said...

Bilkul sahi nabj pakdi hai!
Shubkamnayen.
guptasndhya.blogspot.com

abhivyakti said...

tipaani ke liye dhanyawad ...waise wah gazal meri pahli hi hai.diwali ki hardik shubhkamnaye.
-jaya anand

बवाल said...

Theek kaha jee aapne.Bahut achhe.