Sunday, September 13, 2009

पापा कहते हैं

पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा, एक ने गाया, तो दूसरा गाने लगा डैडी मेरा बड़ा परेशान बेटा बड़ा होकर नाम करे कहीं इसीलिये पिता की सम्बेदना या भावना ,इच्छा ,विचार ,चिंता इस मायने में कि- चाहे वह स्वम बाबू या मास्टर हो लेकिन लड़के को कलेक्टर बनाने की सोचता है ,चपरासी है मगर लडकी के लिए इंजिनियर बर ढूंढ़ना चाहता है , लड़के द्वारा की गई बदतमीजियों पर दूसरों से माफी मांगता रहता है और लडकी के ससुर और लडकी के पति के चरणों में झुक कर बार बार गलतियों की क्षमा प्रार्थना करता रहता है लडकी की शादी में अपनी सारी जमा पूंजी निकाल लेता है और लड़के की अच्छी नौकरी के लिए अपना मकान बेच कर किराये के मकान में रहने लगता है {{यहाँ अच्छी नौकरी के लिए मकान बेचना इससे मेरा तात्पर्य यह कदापि नहीं है कि रिश्वत देना होती है वो तो क्या है, की कुछ लोग ऐसा धंधा ही करते है ,बेवकूफ बना कर पैसे लेलेते है इस शर्त पर की सेलेक्ट नहीं हुआ तो पैसे वापस

यदि सिलेक्शन म्हणत ,योग्यता अथवा इत्तेफाकन हो जाता है तो उसके पैसे रख लेते है वाकी न होने वालों के पैसे ईमानदारी से वापस कर देते है ,हां कुछ म्हणताना जरूर खा लेते है और वापस पाने वाले को थोडा नुक्सान अखरता भी नहीं है क्योंकि कहावत है " सब धन जातो देख के आधो लीजे बाँट " और भागते भूत की ........." और फिर ये पैसे बहुत अवधि बाद किश्तों में पटाते है क्योंकि अलग अलग फिक्स डिपॉजिट कर देते है व्याज ये खा जाते हैं ,मूल में से कुछ काट कर पक्षकार को वापस कर देते है पक्षकार कोई कोर्ट कचहरी में ही नहीं होते ,

जो आने वाली भोर से डर कर रातें जाग जाग कर काटे वह पिता , ,,,,,,,,,पापा , से डेड हुआ डैडी धरती पर परेशान होने के लिए ही अवातारित

होता है बच्चों की सम्बेदन-शीलता इस मायने में कि उपलब्ध कम मालूम पड़ता हो तो उसकी वजह है डैडी ,दूसरों के पास हम से अधिक सुख सुविधाएँ हैं तो उसका कारण हैं पापा , बेटा कहा रहा था पापा यदि आपने जिन्दगी में किसी नेता की चमचागिरी ही की होती तो आज हमें यूं बेरोजगारी का मुहं नहीं देखना पड़ता आपने हमें महंगे स्कूल में नहीं पढाया , अरे अपने सस्ते ज़माने में दो चार प्लाट ही नगर में लेकर पटक दिए होते

वैसे कहा तो यह जाता है कि There is a woman behind every successful man मगर आज यह कहना विल्कुल सही है कि हर सफल व्यक्ति के पीछे उसका पापा होता है फिर चाहे वह फिल्म नीती हो या राजनीती कुछ डैडी अपने बेटे को कठिन परिश्रम की सलाह देते हैं तो कुछ कहते हैं कि = माना कि कठिन परिश्रम से आज तक कोई नहीं मरा फिर भी रिस्क क्यों ली जाये

मेरी नज़र में ""डैडी या पापा वह ,जो सबकी चिंता करे मगर उनकी चिंता कोई न करे""मैं एक विचार -धारा से परिचित हुआ आज की पीढी के विचार ""हम भी कुछ पुण्य करके आये हैं जो हम आज सफल हैं ,तुम न पालते तो कोई दूसरा पालता क्योंकि जो जन्म देता है वह उसके जीवन की रक्षा, भोजन पानी सबकी व्यवस्था कर देता है पाला पोषा , पढाया लिखाया , तो सब माँ बाप पढाते लिखाते हैं यह विचार धारा जब बुजुर्ग माता पिता के समक्ष क्रोध या आवेश में प्रकट की जाती होगी तब उस पापा पर क्या गुजरती होगी ?

मुनि श्री तरुण सागर जी ने एक प्रवचन में कहा था कि एक, इकलौता डाक्टर बेटा अपनी माँ का स्वम उपचार कर रहा था जब माँ स्वस्थ हो गई तो बेटे ने दबाओं का बिल माँ को पकडा दिया आज की पीढी को दोष देना भी व्यर्थ है / क्योंकि हो सकता है यह विचार धारा पुरानी रही हो क्योंकि जो शेर मैंने पढा वह भी पुराना ही है ""हम उन किताबों को काबिले जप्ती समझते हैं /कि जिनको पढ़के बेटे बाप को खब्ती समझते हैं ""

12 comments:

kshama said...

सब सुना सुनाया है ...हमारे यहाँ ,कोई 'अच्छा इन्सान ' नही तलाशता ...बहू भी चाहिए तो कमानेवाली है तो अच्छा..लेकिन 'गृह्कृत्य दक्ष' ज़रूर हो...! कभी किसी माँ,पिता या अन्य बुज़ुर्ग को ' तुम अच्छे भारतवासी बनो, या 'अच्छे इंसान बनो चाहे, जूतेकी दुकान खोलो या कोई छापखाना'.....आशीष के तौरपे कहते सुना है? हमारे पारिवारिक या सामाजिक संस्कार ऐसे नही होते, ये अफ़सोस की बात है...और जैसे संकर होते हैं, हम सरकारी दफ्तर हो या अन्य जगह, ऐसे ही लोग पाते हैं !

Ek add dekhi huee yaad aa rahee hai,jahan ek bachhee kahtee hai, beta kyon betee nahee ho saktee...jo naam kare?

रंजना said...

हमारे चारों तरफ जो बिछा पड़ा है,उसे अत्यंत रोचक शब्दों में सजाकर आपने सामने रख दिया है.....

पहले एक पूरा समाज था,फिर घटकर परिवार हुआ और अब तो बस व्यक्ति भर बच गया है...आगे व्यक्ति भी व्यक्ति में से कहीं गुम हो जायेगा......शायद तभी हरा थका हुआ व्यक्ति समाज के लिए लालायित हो उसकी पुनर्स्थापना करेगा...

Abhishek Ojha said...

मैं तो कहता हूँ भगवान सबको करूणानिधि की तरह किस्मत दें ताकि वो एक अच्छा बाप बन सकें :)

sandhyagupta said...

वैसे कहा तो यह जाता है कि There is a woman behind every successful man मगर आज यह कहना विल्कुल सही है कि हर सफल व्यक्ति के पीछे उसका पापा होता है फिर चाहे वह फिल्म नीती हो या राजनीती कुछ डैडी अपने बेटे को कठिन परिश्रम की सलाह देते हैं तो कुछ कहते हैं कि = माना कि कठिन परिश्रम से आज तक कोई नहीं मरा फिर भी रिस्क क्यों ली जाये

Aap hi likh sakte hain.Bahut khub.

Mumukshh Ki Rachanain said...

भाई हम भी पुराने हो गए, नयी पीढियाँ ही सब कुछ सिखा रही हैं.
आपके आलेख से शत-प्रतिशत सहमत हूँ..........

बधाई....

चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com

ज्योति सिंह said...

sandhaya ji ne sahi bate kahi .bahut hi achchha likha hai aajkal ki kuchh aham baton pe .

शरद कोकास said...

ज़माने के असर से कौन बच सकता है न बाप ना बेटा ।

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

"वैसे कहा तो यह जाता है कि There is a woman behind every successful man मगर आज यह कहना विल्कुल सही है कि हर सफल व्यक्ति के पीछे उसका पापा होता है"
इन पंक्तियों ने सब कह दिया...बहुत बहुत बधाई...

Satish Saxena said...

भाई जी !
बहुत बढ़िया, आजकी हकीकत बयां करता हुआ विचारणीय लेख, हर घर की कहानी लिख दी आपने ! पिता की उपलब्धि कोई नहीं गिनता, काश उस समय आपने एक दो प्लाट और ले लिए होते... मैं भी सुन चुका हूँ...
:-)
सादर

गौतम राजऋषि said...

"डैडी या पापा वह ,जो सबकी चिंता करे मगर उनकी चिंता कोई न करे"

सचमुच!

Alpana Verma said...

हर सफल व्यक्ति के पीछे उसका पापा होता है फिर चाहे वह फिल्म नीती हो या राजनीती कुछ डैडी अपने बेटे को कठिन परिश्रम की सलाह देते हैं तो कुछ कहते हैं कि = माना कि कठिन परिश्रम से ------.
--आप का कहना सही है बहुत हद्द तक तो सख्तियाँ पापा ही करते हैं की किसी तरह बेटे का जीवन बना दो..पाँव पर खडा करा दो..क्योंकि इसपर उनका पूरा वंश का मान निर्भर करता है..बेटा कुछ बन जायेगा तो आगे आने वाली पीढियों को मजबूत धरातल मिल जायेगा.
बाकि ..आज की दुनिया में जहाँ पैसा ही सब कुछ है...बेटा अगर इलाज़ पर किया खर्चा वापस मांग रहा है वाली घटना नयी नहीं लगती न आश्चर्य होता है..

ज्योति सिंह said...

ek sachchaai ek khyal jise bahut hi kayade se samjhate huye nazar aaye aap .hum jaise ho apne bachcho ke liye behatar chahte aur sochte hai .taki jinse hum gujre wo pareshaaniyaan unhe na uthaana pade ,yahi pyar aur fikr hai apno ke liye .