Thursday, January 1, 2009

ह्रदय कपाट

शादी की बात
पहली ही रात

ग्रामीण दुल्हन
आधुनिक दूल्हा
प्रेम का पिटारा खोल उठा
फिल्मी डायलोग बोल उठा
तुमने किया है किसी से कभी प्यार
कभी हुई हैं किसी से आँखे चार

साड़ी में लिपटी
घूंघट में सिमटी
जमीन कुरेदती रही
तिरछी नजर स्वामी को देखती रही

पति उतावला
सुनने को बावला
एक क्षद्म परीक्षा
नकारात्मक उत्तर की अपेक्षा
चुप्पी असहनीय थी
स्थिति दयनीय थी

पुन इसरार हुआ
जिया बेकरार हुआ
प्रश्न बार बार हुआ
ह्रदय कपाट खोल उठी
धीरे से बोल उठी

बताती हूँ
जल्दी मत कीजिये
पहले मुझे
गिन तो लेने दीजिये

24 comments:

sandhyagupta said...

Hanste hanste sal ki shuruat..

Nav varsh par hardik shubkamnayen.

hem pandey said...

'बताती हूँ
जल्दी मत कीजिये
पहले मुझे
गिन तो लेने दीजिये'

-पहली ही रात पति को जोरदार तमाचा!

ss said...

बृजमोहन भाई नमस्कार| अगर ग्रामीण दूल्हा और शहरी दुल्हन होती तो?

गौतम राजऋषि said...

दिनों बाद आये बृजमोहन जी...इस रोचक सुहागरात की दास्तां ठहाके लगवा गयी...

Vineeta Yashsavi said...

Naye saal ki achhi shuruaat.

aapko naye saal ki shubhkaamnaye.

मुकेश कुमार तिवारी said...

बहुत ही रोचक और मनोरंजक शुरुआत नये वर्ष की.

नये वर्ष की अनेकोनेक शुभकामनाएँ और आपके आशीर्वाद की अपेक्षायें रखते हुये.

मुकेश कुमार तिवारी

कडुवासच said...

...नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ।

admin said...

नर्व की हार्दिक शुभकामनाऍं।

Satish Saxena said...

मज़ा आगया भाई जी ! आप बहुत हंसाते हो - शुक्रिया !

Alpana Verma said...

वाह ! बहुत खूब! हास्य रंग में रंगी कविता बहुत अच्छी है..:)

''नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं "

Vinay said...

देरी के लिए माफ़ी चाहूँगा, नये साल की ढेरों शुभकामनाएँ!

---
चाँद, बादल और शाम
http://prajapativinay.blogspot.com

admin said...

बहुत खूब।

मजेदार है।

sanjay jain said...

शादी की बात , पहली ही रात
पति का उतावलापन , पत्नी का भोलापन
पति की उत्सुकता , पत्नी की व्यस्तता
नए साल की शुरुवात में सुंदर व्यंग दिया है
नए साल की शुभ कामनाओ सहित

प्रदीप मानोरिया said...

क्या बात है श्रीवास्तव जी गज़ब करते हो आप तो साल की शुरुआत मैं ही ठोक दिया जोरदार छक्का

Smart Indian said...

क्या गज़ब के भोले अल्हड़पन की झलक दिखाई है आपकी कविता ने.

रंजना said...

हा हा हा हा ..................... हँसते हँसते दुहरे हो गए हम तो . लाजवाब ! जबरदस्त !
बहुत बहुत आभार.

अभिन्न said...

सवाल ही धाँसू था ज़वाब तो फांसू मिलाना ही था,बेचारे का हनीमून था हनी का तो पेप्सी बन गया और मून मौन हो गया .........
बृज जी बढ़िया लिखा है ..जयादा लिखूंगा तो आप कहेंगे चने के झाड़ पर चढा दिया

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

अजी क्या खूब लिखा है. मजेदार
बेचारे पतिदेव की तो पहली रात में ही सिटीपिटी गुम कर दी.हृ्दय कपाट के बजाए उस बेचारे के तो ज्ञानचक्षु खुल गए होंगे.

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

बहुत खूब, मजा आ गया।

Alpana Verma said...

नमस्ते ब्रिज Sir,
आप का ब्लॉग पर आना और रचनाओं पर आप की प्रतिक्रिया पाना हमेशा अच्छा लगता है.
हायकु के बारे में लावण्या जी ने काफी विस्तार से अपने ब्लॉग पर बताया है.
http://www.lavanyashah.com/2009/01/blog-post.html

और डॉ. जगदीश व्योम जी ने भी अभिव्यक्ति हिन्दी साईट www.abhivyakti-hindi.org में इस पर विस्तृत जानकारी दी है.
http://www.abhivyakti-hindi.org/rachanaprasang/2005/hindi_haiku.htm
अभी इस विधा में कविता लिखना सिखा है.
आशा है आप का संशय दूर हो गया होगा.
आभार सहित,
अल्पना

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर said...

वाह ! बहुत खूब!

विनोद श्रीवास्तव said...

ईश्वर का लाख लाख शुक्र है कि मैंने ए प्रश्न आज तक नही पूछा. अब आगे पूछूंगा भी नही. मेरे ज्ञान चक्षु खुल गए.
विनोद श्रीवास्तव

Unknown said...

VERY GUD ...COMEDY.I ENJOYED ALOT ..........

Unknown said...

कमेंट लिखा
बहुत ही सुंदर
कविता या मैं
really very gud...very funny