Saturday, October 4, 2008

ब्रक्षारोपन

कालेज उत्सब में उनको बुलाया
उनके कर कमलों ब्रक्षारोपन करवाया
गड्ढा खुदा था पौधा रखा था ,इन्हे तो केवल आना था
और पौधे से हाथ लगना था
तालिया बजीं ,फ्लश चमका
मिठाइयों की खुशबू से बातावरण महका
सबेरे का अखवार , न फोटो न समाचार
उद्घाटन की केवल लाईने चार
वो भी उठावना और पप्स उपलब्ध के पास
सम्पादक को फोन घुमाया
सर,पेपर में जगह नहीं थी
विज्ञापन ज़्यादा ,हम मजबूर क्या करते
शाम तो टहले ,कालेज आए ,कल का रोपा पौधा उखाड़ आए
और बेचारे क्या करते

4 comments:

संगीता तोमर said...

अंकल जी आपकी आज्ञा का पालन मैंने कर दिया है। कृपया मेरे ब्लॉग पर पधारते रहें।

Satish Saxena said...

बड़े भाई,
बुरा न माने कुछ सुझाव दे रहा हूँ ....
१.आपका ब्लाग किसी भी ब्लाग एग्रीगेटर पर रजिस्टर नही हैं ,
२. चिटठा जगत http://chitthajagat.in/ और ब्लोगवानी http://www.blogvani.com/ पर अपना ब्लाग रजिस्टर्ड कराएँ जिससे प्रसार हो सके !
३.आप अपना ईमेल पता तथा फोटो अपने परिचय में देन ! इसके लिए a) go to deshboard, b)edit profile,show my email and upload photo
सादर

अविनाश वाचस्पति said...

बृज के मोहन
श्रीवास्‍तव के हैं आप
मेल देते नहीं
कैसे पहुंचे आपके द्वार।

आपकी और मेरी व्‍यथा
एक जैसी है लगती कथा
मेल भेजोगे मुझे तो दूंगा
मैं सब कुछ समूचा बता।

avinashvachaspati@gmail.com

रंजना said...

sahi.....karari baat kahi aapne.