Sunday, October 19, 2008

ऐसे कैसे म र द

अब मर्द की शादी मर्द से हो ,कानून में कुछ तो राह मिले
बीरों की इस भारत भू पर , इन मर्दों को सम्मान मिले
उल्टे सीधे जैसे सोयें ,वो काम करें जो मन में है
कानून हमारे हक में है

चेतक घोडे के सवार, महाराणा सर नीचा करके
बीर शिवा भी लज्जा कर, नजरों को कुछ नीचा करके
झांसी की रानी मुस्काकर और फूलन देवी गुस्से से
पुतली बाई करके कटाक्ष हम मर्दों से फिर कुछ पूछे
हम सर को फिर करके ऊंचा ,देंगे जवाब उन बातों का
ये देश है बीर जवानों का अल्वेलों का मस्तानों का
तन फरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
और .कानून हमारे हक में है

एक मर्द कमा कर लाएगा ,दो मर्द बैठ कर खाएँगे
कुछ मर्दों से ताकत पाकर ,सीमा पर लड़ने जायेंगे
हम वो उनको दिखलायेंगे जो बात हमारे मन में है
कानून हमारे हक में है

6 comments:

Straight Bend said...

Good imagination ... little 'stronger' for me. I have posted the meaning of that Ghazal for you under the same post.

To know if a knew post is published, you can be a follower of a blog. Whenever a new post is published, you will see it on the blog. Another option is feed, but I have not enabled it on my blog.

God bless.

Abhishek Ojha said...

अरे बाप रे !

betuki@bloger.com said...

बहुत खूब।

प्रमोद said...

Gahan kataksh, hamari sanskriti ki suraksha ke liye aavashyak. mere blog par aakar utsah vardhan ke liye dhanyavad. Darasal, adhyayan sambandhi vyastata ke karan likhne ka samay nikal pana muskil ho raha hai.

Manuj Mehta said...

bahut hi sateek aur sachhi baat kahi hai aapne, sach mein na jaane kya kya dekhna pad raha hai.

रंजना said...

तन फरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
और .कानून हमारे हक में है

वाह ! क्या करारी बात कही है आपने.बहुत बहुत बढ़िया प्रहार है.
यह प्रगतिवादिता जो न कराये.