Tuesday, October 28, 2008

जोक तथा संदेश [१०]

जोक :- राघोगढ़ में बिरजू की दालान में किसान बैठे थे एक किसान कहने लगा दादा मेरी भैंस बीमार हो रही है उसने बीमारी के लक्षण बताये / बिरजू बोले =भैया ऐसी की ऐसी हालत मेरी भैंस की हो गई थी -मैंने तो अलसी का तेल पिला दिया था /
दूसरे दिन सुबह ६ बजे किसान ने बिरजू का दरवाजा खटखटाया
किसान ++बिरजू भइया बिरजू भइया
बिरजू दरवाजा खोलते हुए =काहे का बात है
किसान -दादा तेल पिलाने से मेरे भैंस तो मर गई
बिरजू _भइया मेरी कौन बच गई थी

संदेश +किसी बात को पूरी तरह सुन कर, समझ कर, काम करने की हमारी आदत ही नहीं रही /बच्चा अगर स्कूल से आकर कह दे कि पापा मुझे स्कूल का ब्लेक्बोर्ड दिखाई नहीं देता तो हम भागे भागे -घबराए हुए से -बैचैन से -अनिष्ट की आशंका के भयभीत उसे डाक्टर के पास ले जायेंगे =यह तो हमें डाक्टर के घर जाकर मालूम पड़ेगा कि स्कूल में उसकी सीट के आगे एक बड़ा लड़का बैठ जता है /

दूसरी बात जहाँ ६ आदमी बैठे हों समझ लेना वहाँ सात डाक्टर बैठे हुए है / कभी करके देखना /रेल के डिब्बे में थर्ड क्लास कम्पार्टमेंट में [अब तो खैर उसे सेकेण्ड क्लास कर दिया है -क्या हुआ जो नाम बदल दिया -क्लर्क कार्यालय सहायक हो गए काम वही ,ओवरसीयर सब इंजीनियर कहे जाने लगे /एक गरीब नगर का राजा परेशान चाहता था उसकी प्रजा दूध पिए मगर उपलब्धता के आभाव में बेचारे छाछ पीते थे /एक दिन राजा ने सार्वजनिक घोषणा जारी करदी कि कल से सब लोग छाछ को दूध कहेंगे और दूसरे दिन से उस राजा की प्रजा दूध पीने लगी /]हाँ तो रेल में किसी बीमारी का ज़िक्र कर देना जुकाम से लेकर केंसर तक मिटाने के नुस्खे मिल जायेंगे और वो भी प्रूफ़ के साथ कि फलां अच्छा हुआ =फलां दस माह से विस्तर में पडा था और अब दौड़ लगा रहा है /टूटी हड्डी जोड़ने की दबाई =भइया दबाई नहीं खाओगे तो भी जुड़ेगी उसे तो जुड़ना ही है / एक महाराज जी की धूनी में चिमटा लगा रहता था आग से निकाल कर लाल चिमटा मरीज़ के अंग में छुला देते /एक सज्जन को साइटिका हो गया -डाक्टर ने २१ दिन का ट्रेक्शन बताया /एक दिन महाराज जी के पास से बड़े खुश होकर लौट रहे थे बोले देखो डाक्टर वेबकूफ बना रहे थे =महाराज ने घुटने में दो जगह और एडी में दो जगह चिमटा से जलाया और देखो मैं कितना बढ़िया चल पा रहा हूँ /पाँच दिन बाद एक दिन वे अस्पताल में दिखे पूछा "क्यों बाबूजी "? बोले यार बो घुटना और एडी के जख्म पक गए तो ड्रेसिंग कराने आया था /

4 comments:

mahesh said...

जोक और संदेश बहुत बढि़या
आपको भी दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!

P.N. Subramanian said...

हम आख़िरकार यहाँ पहुँच ही गये. मज़ा आ गया. लेकिन एक बात कहनी है. आपको याद होगा कि पुराने थर्ड क्लास के डब्बों में पटिए होते थे. आजकल के सेकेंड क्लास में गद्दे रहते हैं. क्योंकि हम इसी में चलते हैं इसलिए हम से रहा नहीं गया इस लिए बोल पड़े. आभार.
http://mallar.wordpress.com

गौतम राजऋषि said...

चलिये आपके आने से(मेरे ब्लौग पर) इतना तो हुआ कि मेरा वास्ता इस मजेदार हँसी के खजाने औए संदेशों से भरपूर ब्लौग से जुड़ गया.शुक्रिया आपका और मेरे गज़ल की तारिफ़ में इतनी हौसलाअफ़जाई का तहे-दिल से मेहरबान हूँ.बस शब्दों को जोड़-तोड़ लेता हूँ
अब आपके ब्लौग पे आना-जाना लगा रहेगा.
ढेरों शुभकामनायें

प्रदीप मानोरिया said...

बहुत दिनों से कुछ नया नही लिखा शायद आपने इंतज़ार है श्रीवास्तव जी मेरी नई कविता पढ़े कोटा की मंडी