जब भूंख से मरने की नौबत आ ही जाये तो क्रियाओं और पदार्थों को त्याग कर, बन में चले जाना या निष्क्रिय हो कर समाधिष्ठ योगी बन जाना विकल्प नहीं है क्लेश युक्त जीवन व्यतीत न कर कर्त्तव्य पथ पर चलना आवश्यक है मनुष्य जीवन का लक्ष्य सुख प्राप्त करना है और उसके लिए कर्म आवश्यक है |
एक कहावत है ""जब तक धरती पर एक भी मूर्ख मौजूद है अक्ल्मंन्द भूखों नहीं मर सकता| - ५-५ रुपयों में लकडी के एक एक बालिश्त के टुकड़े बिक जाते हैं, जिनको मात्र घर में रखने से खटमल व मच्छर भाग जाते है, जिनको पुस्तकों की अलमारी में रखने से पुस्तकों को दीमक नहीं लगती है | बाद में मालूम चला उस लकडी को ही दीमक खा गई
आप एक काल्पनिक कम्पनी बनाइये और अखवार में विज्ञापन दीजिये, कि ऐसी कोई चार संख्याएं लिखो जिसका योग २५ हो| कम्पनी का कोई कर्मचारी या संबन्धी इस प्रतियोगिता में भाग नहीं ले सकेगा प्रथम पुरस्कार पाने वाले को १० हजार रूपये का टीवी सेट दिया जायेगा |आपका उद्देश्य प्रविष्ठी भेजने वाले का नाम और पता जानने भर का होना चाहिए अब जो नाम आपके पास आये हैं उन सभी को पत्र भेजिए कि आपने प्रथम पुरस्कार जीता है | सभी लोग ऐसी संख्याएं लिखेंगे जिनका योग २५ आता है ,किन्तु यदि किसी का योग २३ या २० आता है तो उसे भी सूचना भेजिए कि आपने प्रथम पुरुस्कार जीता है| आप दो हज़ार रूपये भेजिए ताकि आपका मॉल पार्सल से भेजा जा सके अब आपका नैतिक कर्तव्य है कि आप पोस्ट बॉक्स नम्बर पोस्ट बेग नम्बर का मोह त्याग कर मोहल्ला बदल लें राशिः ज्यादा हो तो शहर बदल ले देश में शहर बहुत हैं |
किन्ही वकील साहिब के पास जाइये उनसे कोई कानूनी पुस्तक लीजिये (जमीदारी उन्मूलन अधिनियम ही सही ) और उसे सस्ती सी प्रेस पर हलके से कागज़ पर किताब नुमा आकार दीजिये तथा तांगे या सायकल रिक्शा में बैठ कर भोंपू से प्रचार कीजिए कि सरकार ने कानून बनाया है -जिससे किसानों को लाभ होगा किसानों कि वह जमीने, जिनको वे जोत रहे है, और सरकारी कागजात में उन्ही का नाम दर्ज है, और जो उनकी पुस्तैनी है, अब उन्ही की हो जायेगी |उनकी फसल वे काट व बेच सकेंगे| आपके प्रचार से तारीख पेशी करने आये हाट बाज़ार करने आये किसान दो दो रुपयों में वह किताबें खरीद कर ले जायेंगे और अपने गावं में शिक्षाकर्मियों से पेडों तले शिक्षा ग्रहण करने वाले, होनहारों से पढ़वा कर, फूले नहीं समायेंगे | आप गलत भी नहीं है आप तो कह रहे है सरकार ने कानून बनाया है कब बनाया है यह आप कह ही नहीं रहे हैं
अखवार में विज्ञापन दीजिये कि अत्यंत उपयोगी घरेलू उपकरण के विक्रय हेतु विक्रय प्रतिनिधि नियुक्त करना है बेरोजगार स्मार्ट और वाक्पटु को प्रार्थमिकता दी जायेगी| आजकल अधिकांश युवक बेरोजगार है और जो रोजगार से लगे हुए हैं वे पार्ट टाइम जाव की तलाश में रहते हैं क्योंकि चाय, पान, सिगरेट, गुठका ,सिनेमा ,क्रीम, डियोड्रेंट, महंगे हो जाने से घर का खर्च चलता नहीं है| वैसे भी आज का हर युवक अपने को स्मार्ट समझता है करेला और नीम चडा एक तो बेरोजगार ऊपर से स्मार्ट वाक्पटु तो होगा ही ज्यादा से ज्यादा किसी बुक स्टाल से एक दो रुपया रोज पर उपन्यास या फिल्मी पत्रिका लाकर अपना दिन गुजार देता होगा |
जब आप दस हज़ार रूपये मासिक व कमीशन का लालच देंगे, तो वह आवेदन करेगा फिर उसे आपका जवाब मिलेगा कि हमारी समिति के सदस्यों ने आपकी योग्यता और डिग्री आदि देखते हुए सर्वसम्मति से आपको आपके क्षेत्र का विक्रय प्रतिनिधि चुना है आपका मासिक वेतन दस हज़ार होगा और मॉल विक्रय पर १० प्रतिशत कमीशन मिलेगा|विक्रय ५० हज़ार रूपये मासिक तक बढ़ने पर आप कमीशन २५ प्रतिशत हो जायेगा |फिलहाल २० उपकरण आपके शोरूम को भेजेंगे कम्पनी के नियमानुसार आप १५ हज़ार की नगद जमानत भिजवा दीजिये यह राशिः आपकी अमानत रहेगी और जब आप चाहेगे बापस मांग सकते हैं |
हर गरीब मित्र का एक अमीर मित्र जरूर होता है ,यह परिपाटी कृष्ण सुदामा युग से चली आरही है ,तो ऐसे में आपके भाग्य से और उस युवक के दुर्भाग्य से वह अमीर मित्र उस युवक की जरूर आर्थिक सहायता करेगा इसके बाद आपको क्या करना है ,आप स्वम समझदार हैं
एक स्कीम निकालिए १०० रूपये का मॉल ७५ रूपये में मिलेगा पैसे जमा करवाइए ड्रा निकालिए और १०० का मॉल ७५ में बेच दीजिये |देखिये हर धंधे में थोड़ी रिस्क तो उठानी ही पड़ती है अब आप पर लोगों का विश्वास जमेगा बड़े आयटम निकालिए सोफासेट डबलबेड वाशिंग मशीन इत्यादि इत्यादि ,अब आपकी कम्पनी पर लोगों का इतना विश्वास जमेगा कि शायद भगवन पर भी नहीं | अब आप मोटर सायकल ,कार, हेलीकोप्टर .हवाईजहाज.लेपटोप के पैसे जमा करवाइए और अंतर्ध्यान हो जाइये
पत्राचार का कोर्स कर डाक्टर की डिग्री प्राप्त कीजिये |आपने चाहे प्रदेश का नक्षा तक न देखा हो मगर आपको अमेरिका रिटर्न डाक्टर की डिक्री मिल जायेगी |होमोपैथी, नेचुरोपथी, मेग्नेट, एलेक्ट्रोमेग्नेट,यूनानी, ऐलोपथी ,आयुर्वेदिक, प्राकृतिक जिसकी चाहें उसकी |अब आप जीवन से हताश और निराश लोगों का इलाज कीजिये ऐसे रोगी मौत से पहले मरते नहीं और शादी से पहले आत्महत्या करते नहीं, तो आप पर कोई मुकदमा चले इसकी सम्भावना तो है नहीं खाली केप्सूल में पिसी शकर भरिये, शुद्ध दूध से खाने की सलाह दीजिये शुद्ध दूध मिलेगा नहीं और लाभ न होने का इल्जाम आप पर आएगा नहीं ,और जिसके यहाँ शुद्ध दूध होगा वह तो आपसे केप्सूल खरीदेगा ही क्यों वो जीवन से हताश और निराश होगा ही क्यों |
यदि इनसे भी आप भूंख से न बच सकें तो "" लोगों को मूर्ख बनाकर धन कमाने के सौ तरीके ""नामक” मेरी पुस्तक के विक्रय प्रतिनिधि बन जाइये
Monday, August 17, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
18 comments:
vishya bhi sundar aur lekh bhi .padhkar bahut achchha laga .
आपने बहुत अच्छा लिखा है| "" लोगों को मूर्ख बनाकर धन कमाने के सौ तरीके ""नामक” मेरी पुस्तक के विक्रय प्रतिनिधि बन जाइये आपकी ये तरकीब बिल्कुल लाजवाब है|
बहुत ही अच्छा लिखा है ........... आज अखबार भरे रहते हैं ऐसे विज्ञापनों से ............ और बिचारे भोले भले लोग ठगे जाते हैं ........
सच में कर्म ही जीवन है।
( Treasurer-S. T. )
यदि इनसे भी आप भूंख से न बच सकें तो "" लोगों को मूर्ख बनाकर धन कमाने के सौ तरीके ""नामक” मेरी पुस्तक के विक्रय प्रतिनिधि बन जाइये
सच में, पर इसके लिए कर्म क्या करना होगा , यह भी तो बताइए...................
ब्रमित करने वाले विज्ञापनों से तो आजकल अख़बार पता रहता है. समझ नहीं पाता कि खोजी पत्रकारिता के ज़माने में भी खुद को जन हितार्थ चौथा स्तम्भ कहने वाले समाचार पत्र क्या विज्ञापनों के द्वारा मिलने वाले धन के लिए इतने अंधे हो चुके हैं कि ऐसे विज्ञापनों की बिना सत्यता जाचें छपने का दुसाहस कैसे कर लेते हैं, छपते वक्त उनकी जिम्मेदारियां क्या सो जाती हैं, या फिर जन्भूझ्कर अगली खबर बनने के लिए छापी जाती है...............
ब्रमित विज्ञापनों से आगाह करने के लिए हार्दिक आभार.
'बिखरे सितारे 'पे टिप्पणी के लिए धन्यवाद ! Life is stranger than fiction....ये उक्ति आपकी टिप्पणी ने याद दिला दी ॥ये सफर , कभी तेज़ क़दम तो कभी सुस्त क़दम , ऐसेही चलेगा ॥माफ़ी चाहती हूँ , गर विस्तार अधिक लग रहा हो ॥कुछ बातों की तह तक जाना ज़रूरी है ..ताकि ,आगे चलके जो इस कथानक मुख्य किरदार ने जो निर्णय लिए ,उसकी पार्श्वभूमी पाठक समझ सकें ..
सादर
are baap re....main kya karun....isase to acchha hai ki main bhookh se hi mar maraa jaaun....!!
आपके यही रंग तो आपके आलेख तथा टिपण्णी की प्रतीक्षा करवाते हैं....बहुत समय बाद आपकी पोस्ट पढने का सौभाग्य मिला....
आपका लेखन इतना प्रभावशाली है कि आपके शब्द एकदम अपने से ....अपने ही मन की बात लगते हैं.....
समाज का यथार्थ इतने सार्थक ढंग से आपने प्रस्तुत किया है कि सन्देश सीधे मन तक पहुँचता है....बहुत बहुत आभार आपका...
'बिखरे सितारे ' blog इतनी गौरसे पढ़ , उस के साथ जुड़े रहने के लिए तहे दिल से शुक्र गुज़ार हूँ ..
हरेक टिप्पणी विचारपूर्वक दी गयी है , ये सब से अहम् बात है ..
अभी तक आत्म कथन नही है ..लेकिन ,हाँ , किसी एक कड़ी से , पूजा -तमन्ना स्वयं , इस बयानी को लिखना शुरू करेगी ...मै उसी इंतज़ार में हूँ ,कि, कथा नायिका स्वयं, सूत्र धार बन जाय....माँ, मासूमा और पूजा, दोनों इस समय, मौत से झूज रहे हैं( जब से ये क़िस्सा बयानी शुरू की, बस उसी के कुछ समय पूर्व से..यही वजह रही,कि, मैंने लेखन शुरू कर दिया..उम्मीद करती हूँ,कि, दोनों सही सलामत रहें... इस जंग को जीत लें..। इस बात को अपने ब्लॉग पे ज़ाहिर नही होने देना चाह रही थी..)
जो बात आपको अटपटी लगी , वही बात , पूजाको भी अटपटी लगती रही ..इसलिए ,कहा ,' ये चराग तले अँधेरा ! '.. इन घटनाओं की ओर देखनेका नज़रिया ,एक बच्ची का है ..जो ख़ुद असमंजस में है ..जब कभी उसका संभ्रम दूर होगा...(या होगा भी के नही), पाठकों का भी दूर हो जायेगा..
काफी सोचा कि इसमें से किस आईडिया पर काम करूँ. समझ को स्थिर न कर सका...ऐसा करिए १००० प्रतियाँ भेज ही दीजिये.. पैसा अपने कबूतर के हाथ भेज रहा हूँ... जिस दिन देश में कहीं कोई घोटाला नहीं होगा उस दिन आप तक पहुँच जाएगा...
आपकी ये सारी तरकीबें हमारे महान राष्ट्र में संभव हैं और प्रचलन में भी हैं.हाँ अपनी पुस्तक का विमोचन माननीय नटवार लाल जी से करवाइए. नटवर लाल जी अभी केवल दो बार दिवंगत हुए हैं. अभी भी कहीं न कहीं उनका अस्तित्व होने की संभावना है. वैसे उनका आशीर्वाद तो यहाँ कईयों को प्राप्त है.
" लोगों को मूर्ख बनाकर धन कमाने के सौ तरीके "
वृजमोहन जी,
नमस्कार,
आप की बात सही है और आप की पुस्तक से बहुत से महानुभाव लाभ भी उठाएंगे..
आप ने मेरी रचनाओं पर बडी़ सुन्दर टिप्प्णी की है।बहुत-बहुत धन्यवाद।आप मेरे अन्य ब्लाग भी देखकर बतायें कि वो कैसे हैं?
सही कहा आपने लोगों को बेवकूफ़ बनाने का नया तरीका अच्छा है
bahut khoob.
brijmohan ji , mere blog par aane aur rachna pasand karne ke saath comment ke liye aabhar, punah padharen.
ब्लॉगर kshama ने कहा…
बृजमोहन जी ,
यहीँ पे एक जवाब दे रही हूँ ..आपके ब्लॉग पे भी पोस्ट कर दूँगी ..
ये तस्वीर उसी उम्र में ली गयी ,जो बताई है ! ये सच है,की, पूजा अपनी उम्र से कहीँ अधिक सयानी भी थी..साथ,साथ एक अल्हड़ता तो थी ही...अभी उस उम्र का पड़ाव भी आही जाएगा..जिस का अपने ज़िक्र किया है..
वो घर जहाँ वो खड़ी है,उसकी तस्वीर मैंने पोस्ट की है..अगली कड़ी में और अधिक जानकारी सामने आ जायेगी...अच्छा लगा आपकी टिप्पणियाँ पढ़के!
August 26, 2009 7:27 AM
Vyangya men bhi gahree baat hai.
http://brijmohanshrivastava-sharda.blogspot.com/
वाह वाह.बिलकुल सच्ची बात आपने बड़ी खूबसूरती से कही है. आप सिर्फ लिख रहे हैं और यह डकैत हर रोज़ नए करोड़पति बन रहे हैं.
बहुत बढ़िया व्यंग्य है.
[यह लेख पहले पढ़ चुकी थी लेकिन टिपण्णी शायद की ही नहीं]..
आप की यह कहावत सौ प्रतिशत सही है..की ""जब तक धरती पर एक भी मूर्ख मौजूद है अक्ल्मंन्द भूखों नहीं मर सकता''
यही तो कारन है की दुनिया के सब से ज्यादा अमीर भारत में ही हैं.
जैसा आप ने कहा केपसूल में चीनी भर कर ....सही है..एक तरीका मैं भी बताऊँ बहुत आसान है..लोगों का भविष्य बताने का...दो ही बातें होती हैं या सकरात्मक या नकारत्मक--सही हो गयी बात तो आप बड़े !और सही नहीं तो भाग्य में लिखा कौन टाल सकता है!...
Post a Comment