Sunday, October 12, 2008

बहनों कुछ तो पहनो

बहनों कुछ तो पहनो
हम इतिहास दुहरायें ,दु :शाशन कपड़े खींचे
और कृष्ण बचाने आयें
हम उनके दर्शन पायें

बंद मिलें फिर चालू हों ,भूंकों को कुछ व्यबसाय मिले
भारत की प्यारी बसुधा पर ,फिर कपास के फूल खिले
तपोभूमि पर देवभूमि पर,देवी का कुछ तो बेश लगे
अब कुछ तो आचरण ऐसे हों ,गौतम नानक का देश लगे

जब युद्ध की काली छाया थी ,तब भी त्याग किया तुमने
तुमने जेवर दे डाले थे ,हथियार खरीदे थे हमने
माना कि देश संकट में है ,नदियों की बाढ़ सुनिश्चित है
हम सब का त्याग भी बाजिब है ,
पर इतना त्याग क्या जायज़ है

9 comments:

Vinay said...

gajab kataaksh top rahe, sahi hai bhai lage raho!

परमजीत सिहँ बाली said...

(०।०)
(_)

अभिन्न said...

श्रीवास्तव जी कमाल का लेखन है आपका व्ययंग के माध्यम से जो सन्देश देते हो बहुत प्रभावशाली है ...कृष्ण जी के दर्शन ,कपास के फूल आदि की कामना और आज की नारी के कम होते वस्त्र ,बहुत गहरी सोच और विचारधारा के व्यक्ति हो आप
हम सब का त्याग भी बाजिब है ,
पर इतना त्याग क्या जायज़ है
.........कसा हुआ व्ययंग ,प्रभाव शाली लेखन
धन्यवाद इतना अच्छा लिखने के लिए और हम जैसे अपरिपक्कव लोगों को पढने और हृदय से उत्साह वर्धन के लिए

रश्मि प्रभा... said...

बहुत ही करारा तमाचा लगाया है,
मन खुश हो गया.........
भारतीय पहनावे की मिसाल दी जाती थी
अब ! विदेशी स्टाइल का नज़ारा है !
.... माना कि देश संकट में है ,नदियों की बाढ़ सुनिश्चित है
हम सब का त्याग भी बाजिब है ,
पर इतना त्याग क्या जायज़ है , ......
इसे कहते हैं कलम की ताकत !

art said...

आपको लगता है की समाज की ५ प्रतिशत लड़कियां जो कम कपड़े पहनती हैं....वें यह कविता पढ़ कर अपनी गलती का एहसास कर लेंगी ? और उन बाकी ९५ प्रतिशत लड़कियों का क्या जो पूरे कपड़े पहने हुए भी भोग की वस्तु बनीं रहती है......कभी पति के हाथ शासन का शिकार , कभी गावों में अनपढ़ पंचायत का शिकार या कभी रात को नौकरी से देर से आने के जुर्म में दुर्गति का शिकार......

Manuj Mehta said...

बंद मिलें फिर चालू हों ,भूंकों को कुछ व्यबसाय मिले
भारत की प्यारी बसुधा पर ,फिर कपास के फूल खिले
तपोभूमि पर देवभूमि पर,देवी का कुछ तो बेश लगे
अब कुछ तो आचरण ऐसे हों ,गौतम नानक का देश लगे


bahut khoob likha hai aapne brijmohan ji. badhai sweekaren
www.merakamra.blogspot.com

कडुवासच said...

"अब कुछ तो आचरण ऐसे हों ,गौतम नानक का देश लगे"..... बहुत प्रभावशाली रचना है।
... समय अभाव के कारण नया लिखने मे विलम्ब हो जाता है किंतु आपके विशेष आग्रह पर 1-2 दिन पूर्व कुछ नया "सम्भोगमुद्रा ही शिवलिंग है !" लिखकर प्रकाशित किया है, कृपया पहुचें / पढें / आनंदित हों / आत्मसात करें।

रंजना said...

जबर्दस्त कटाक्ष है.एकदम सत्य और सही लिखा है .बढ़िया व्यंग्य है.लिखते रहें.

Satish Saxena said...

आजकल यह बातें कोई नही सुनना चाहता भाई जी !