वाहन रिपेयर की दुकान पर ,मिस्त्री को पेंचकस देता
केन्टीन से दफ्तर और नर्सिगहोम के वार्ड में
दौड़ दौड़ कर चाय पहुंचाता
पेपर बांटता ,पालिश करता ,डांट खाता ,मार खाता
शनिवार को स्कूल छोड़ स्टेशन पर
शनि महाराज बन जाता
अपनी फटी कमीज़ निकाल रेल के डब्बे साफ़ करता
हलबाई की दूकान पर ,आंखों से मिस्ठान्न का स्वाद ग्रहण करता
कडाही मांजता
फ़िल्म देखता ,जेब काटता ,गाली बकता
आठ साल की उम्र में
साठ साल का अनुभव पाता
दिवस मना कर ,भाषण देकर ,मीठा खाकर पान चबा कर
कार में बैठते महोदय से पूछा
सरकार -सुख शान्ति ,चैन ,आराम ,विश्राम
हम कैसे पायेंगे ?
बोले चिंता मत करो
तुम्हारे आराम को ,हम ,पैसा पानी की तरह बहायेंगे
और आगामी वर्षों में
करोड़ों बोरबेल ख़ुद जायेंगे
Saturday, November 15, 2008
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16 comments:
वाहन रिपेयर की दुकान पर ,मिस्त्री को पेंचकस देता
केन्टीन से दफ्तर और नर्सिगहोम के वार्ड में
दौड़ दौड़ कर चाय पहुंचाता
पेपर बांटता ,पालिश करता ,डांट खाता ,मार खाता
शनिवार को स्कूल छोड़ स्टेशन पर
शनि महाराज बन जाता
अपनी फटी कमीज़ निकाल रेल के डब्बे साफ़ करता
हलबाई की दूकान पर ,आंखों से मिस्ठान्न का स्वाद ग्रहण करता
कडाही मांजता
फ़िल्म देखता ,जेब काटता ,गाली बकता
आठ साल की उम्र में
साठ साल का अनुभव पाता
और हर काम के बाद अगले काम तक आराम पाता
और नहीं भी पाता तो मन में आशा अविराम जगाता
यथार्थ !
आठ साल की उम्र में
साठ साल का अनुभव पाता---
आपने यथार्थ के कडवे सच को व्यंग में दर्शाया है,बहुत अच्छी रचना है/आपके ब्लाग में पहली बार आना हुआ/जीवन के हर पहलू से आप बखूबी हास्य-व्यंग निकाल लेते है,बहुत-बहुत शुभकामनायें/
bahut sahi kaha aapne.....
sadhuwaad.......
aapka swagat hai....
"बदले-बदले से कुछ पहलू"
http://akshaya-mann-vijay.blogspot.com/
very nice post ji good going
visit my site shyari,recipes,jokes and much more vice plz
http://www.discobhangra.com/recipes/
http://www.discobhangra.com/shayari/
श्रीवास्तव जी आजकल आपकी लेखनी कहर ढा रही है गज़ब लिखा है आपने भयंकर यथार्थ ... आपको सलाम
So true! Beautiful writing. Emotional yet practical touch!
:-)
I have replied to your comment on my blog for "Shabdaheen". Have a look!
Aapka naya comment shayad ghalat kavita per post ho gaya :(. Mujhe lagta hai jab aap comment kar rahe the tabhi maine ek aur kavita post kee aur purani hataa di, useemein kuchh gadbad ho gayi. Aapka comment thoda out-of-reference lag raha hai ab .. :-( sorry ..
दिवस मना कर ,भाषण देकर ,मीठा खाकर पान चबा कर
कार में बैठते महोदय से पूछा
सरकार -सुख शान्ति ,चैन ,आराम ,विश्राम
हम कैसे पायेंगे ?
बोले चिंता मत करो
तुम्हारे आराम को ,हम ,पैसा पानी की तरह बहायेंगे
और आगामी वर्षों में
करोड़ों बोरबेल ख़ुद जायेंगे
kya tasweer khinchi hai.....yahi hai satya
बहुत ख़ूब, भई कहाँ है आजकल?
bahut aachi rachna.......
bahut aachi rachna.......
श्रीवास्तव जी /पहली बार आपके ब्लॉग पर आया आपकी कविता बहुत अच्छी लगी /मैंने भी ब्लॉग बनाया है उसमें आज सुरुआत णमोकार मन्त्र से की है /मेरे ब्लॉग पर आकर पढ़ कर मेरा उत्साह वर्धन करने का कष्ट करें
आठ साल की उम्र में
साठ साल का अनुभव पाता---
क्या बात कही है. यही तो वास्तविकता है. आभार.
आठ साल की उम्र में
साठ साल का अनुभव पाता ..........
बेहतरीन।
sateek sadhi hui panktiyan.aapka sadhuwaad.
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