एक दिन ईश्वर से साक्षात्कार हुआ
प्रभो ,मेरे साथ बडा अन्याय हुआ
तो adaalt चला जा
prabhoo में dukhee हूँ दुःख मुझे खाए jata है
तो ulloo की dum asptal क्यों नही jata है
adalat से baree होने मन्दिर में आया है
मैं jaantaa हूँ
मगर मैं किसी वकील का hq भी naheen maartaa हूँ
too zmeen के kbze भी मुझसे ही chahega
तो tehseeldaar क्या khayega
too चोरी की janch मुझसे चाहता है
मैं अखिल brahmand का एक maatr swaamee laxmee पति
मुझे ds hzar mahinaa का thanedaar बनाना chahtaa है
तेरा तो jeevn तूने अपने हाथों bna rakhaa है nrk
नही sunoonga तेरा कोई trk
तेरी तो baichen रहने की adat है
मुझे तो चैन से रहने दे
Friday, September 26, 2008
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3 comments:
Ha..., Ha..., Ha...,
Bahut Khoob
वाह... साहब, वाह..
बढ़िया रचनात्मक अभिव्यक्ति...
very gud and funny poetry.....gudguda gayi.........
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