बहुत खुश थी घर खर्च चलाने हाथ में तनखा लेकर
बाइयां काम पर लग गईं - इनको फुर्सत मिल गई
फुर्सत में धर्म की ओर झुकाओ स्वभाबिक है
ग्रन्थ और प्रवचन भी आवश्यक है
सुना पढ़ा
सादर सास ससुर पद पूजा
ह्रदय परिवर्तन हुआ -पति से आग्रह हुआ
अभी ख़बर भिजवाओ -गों से माताजी को बुलवाओ
बेटे ने माताजी को बुला लिया
बहू ने काम बाली बाईयों को हटा दिया
Friday, September 12, 2008
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10 comments:
हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.
वर्ड वेरिपिकेशन हटा लें तो टिप्पणी करने में सुविधा होगी. बस एक निवेदन है.
बहुत अच्छा लिखा है। स्वागत है आपका।
नए चिट्ठे का स्वागत है. निरंतरता बनाए रखें.खूब लिखें,अच्छा लिखें.
Very Nice Sir. Thanks keep it up.
बेटे ने माताजी को बुला लिया
बहू ने काम बाली बाईयों को हटा दिया
और उस संस्कारित बेटे ने एक दिन अपनी पत्नी को ही हटा दिया।
बेटे ने माताजी को बुला लिया
बहू ने काम बाली बाईयों को हटा दिया और सास को काम पर लगा दिया.
बहुत सही क्या बात है.
वर्ड वेरिपिकेशन हटा लें तो टिप्पणी करने में सुविधा होगी.
स्वागत है। आप जुड़ गये जी। लिखते रहें।
श्रेष्ठ कार्य किये हैं.
आप ने ब्लॉग ke maarfat जो बीडा उठाया है,निश्चित ही सराहनीय है.
कभी समय मिले तो हमारे भी दिन-रात आकर देख लें:
http://shahroz-ka-rachna-sansaar.blogspot.com/
http://hamzabaan.blogspot.com/
http://saajha-sarokaar.blogspot.com/
ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है बधाई कृपया मेरे ब्लॉग पर पधारें
शुभकामनाएं।
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