डकेतों ने हमें लूटने की योजना बनाई हमको पता चल गया हमने पुलिस बुलाई हमारी रक्षा हुई हम डकेतों से बच गए ............................................ मगर फ़िर भी लुट गए
में बिधि स्नातक -८९ से २००० तक समय समय पर नई दुनिया इंदोर के अध बीच कालम में हास्य व्यंग्य लिखता रहा= एक पुस्तक राम कृस्न प्रकाशन विदिशा ने ९६ में छापी -"दुखडा कासे कहूँ" -एक पुस्तक " कुछ कुछ नहीं बहुत कुछ होता है" प्रेस में पडी है लेखकों से जुड़ना चाहता हूँ पहले में अखवारों में व्यंग्य लिखता था ,वे छापते थे मैं लिखता था ,मैं लिखता था वे छापते थे ,उन्होंने छापना बंद कर दिया मैंने लिखना बंद कर दिया और यहाँ पर आगयामेरा पता है १२१ बोहरा बागीचा गुना मध्य प्रदेश तथा मेरा मोबाइल नम्बर है 9406979644
1 comment:
रिक्त स्थान पर कितना कडुआ सच छिपा है।
स्वागत है।
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